मोदी सरकार ने बुधवार (5 फरवरी) को राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों का एलान कर दिया। ट्रस्ट में हिंदू पक्ष के वकील के 92 वर्षीय वकील के पारासरन, परमानंद जी महाराज, कामवेशरवर चौपाल, शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, मधवाचार्य स्वामी को शामिल किया गया है। इनके अलावा गोविंद देव गिरी जी महाराज, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास, डॉक्टर अनिल मिश्र, बोर्ड ऑफ ट्रस्टी से नामित दो सदस्य, अयोध्या के डीएम, केंद्र सरकार का प्रतिनिधि, राज्य का प्रतिनिधि और एक ट्रस्टी द्वारा नामित चेयरमैन को शामिल किया गया है।

बात करें पारासरन की तो वह अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से अग्रणी अधिवक्ता थे। उन्होंने ‘रामलला विराजमान’ के पक्ष में उच्चतम न्यायालय में समूची विवादित भूमि के अधिग्रहण के लिए सफलतापूर्वक दलीलें रखीं।वासुदेवानंद सरस्वती  बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य हैं। कामेश्वर चौपालट्रस्ट में शामिल एकमात्र दलित सदस्य हैं। राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की पहली शिला दलित समाज के कामेश्वर चौपाल ने ही रखी थी।

बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई और यह ट्रस्ट अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों पर निर्णय के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में इस बाबत घोषणा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने अयोध्या कानून के तहत अधिग्रहीत 67.70 एकड़ भूमि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को हस्तांतरित करने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन देनेको भी मंजूरी दी है। पीएम मोदी के संसद में इस एलान के बाद अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी अयोध्या में ट्रस्ट की घोषणा कर दी है। बोर्ड ने एलान किया है कि जमीन पर स्कूल, कॉलेज और अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने गत 9 नवंबर को अयोध्या की विवादित जमीन पर फैसला सुनाया था और रामलला को मालिकाना हक दिया था। वहीं यूपी सरकार को मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया था।