Ram Mandir Pran Prathistha: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने अपने संबोधन कई बड़ी बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज के आनंद का वर्णन शब्दों में करना मुश्किल है। आज भारत का आत्म सम्मान लौटकर आया है। पूरे देश में यही वातावरण है। पूरा देश टीवी के माध्यम से इस कार्यक्रम को देख रहा है और आनंद की अनुभूति कर रहा है।
भागवत ने कहा कि पीएम मोदी ने इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर बहुत कठोर व्रत रखा। भागवत ने कहा, ‘वो एक तपस्वी हैं, इसको मैं जानता हूं। अयोध्या उस पुरी का नाम है, जिस में कोई बंधन और कलह नहीं है। उन्होंने कहा कि 500 साल बाद आज रामलला फिर से वापस आए हैं। मोहन भागवत ने रामराज्य आने वाला है। हमें अपने आपको संयम में रखना है।’ महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए आरएसएस चीफ ने कहा कि लोभ नहीं करना है, और अपने अनुशासन का पालन करना है।
संघ प्रमुख ने कहा कि आज अयोध्या में रामलला के साथ भारत का स्व लौट कर आया है। यह कार्यक्रम इस बात का सबूत है कि संपूर्ण विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक भारत फिर खड़ा होगा। हम इस गौरवमयी भारत की संतान हैं। सरकार की कई योजनाएं गरीबों को राहत दे रही हैं, लेकिन हमारा भी कोई कर्तव्य है।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद इससे पहले अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘भारत का हर नगर, हर ग्राम अयोध्या धाम है। हर मार्ग श्रीराम जन्मभूमि की तरफ आ रहा है। हर जीभ राम-राम जप रही है। पूरा राष्ट्र राममय है। ऐसा लगता है, हम त्रेता युग में आ गए हैं। राम मंदिर बनाने के लिए संतों सन्यासियों पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं सभी समाज के लोगों ने खुद को समर्पित कर दिया। मंदिर वहीं बना है, जहां का संकल्प किया था।
इससे पहले रविवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि राम मंदिर की कानूनी लड़ाई तुष्टिकरण की राजनीति के कारण लंबी चली। अब राम मंदिर को लेकर विवाद और कड़वाहट को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए। मोहन भागवत का मराठी भाषा में एक लेख पब्लिश हुआ। इसमें उन्होंने बीते 1500 साल में भारत पर हुए कई आक्रमण की बात की। उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर जो आक्रमण हुए उससे समाज में अलगाव बढ़ा।
आर्टिकल में उन्होंने मंदिर के लिए चले लंबे संघर्ष के अलग-अलग चरणों को याद किया। साथ ही उन्होंने भगवान राम के आचरण को अपने जीवन में उतारने की भी अपील की। मोहन भागवत ने लिखा, ‘1500 साल पहले शुरू हुए आक्रमणों का उद्देश्य लूटपाट करना था। बाद इस्लाम के नाम पर भारत में आक्रमण हुए, जिसने हमारे देश में और समाज में अलगाव बढ़ाया। धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया। ऐसा एक बार नहीं बल्कि बार-बार किया गया। इन सबके बावजूद भारत में राम भगवान के लिए आस्था निष्ठा और मनोबल कभी कम नहीं हुआ। राम जन्मभूमि का मुद्दा लोगों के मन में बना रहा।’