अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में कल रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा। 22 जनवरी को होने वाले इस समारोह के लिए अयोध्या शहर और मंदिर को फूलों और दीयों से सजाया गया है। पीएम मोदी के साथ ही 6000 से अधिक विशिष्ट अथिति भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। गुजरात में गोधरा ट्रेन अग्निकांड में मारे गए 19 कारसेवकों के परिजन भी समारोह में शामिल होंगे। वहीं, देश भर से विभिन्न जातियों और वर्गों के 15 कपल भी सोमवार को अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यजमान का कर्तव्य निभाएंगे।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने शनिवार को 14 नामों की एक सूची शेयर करते हुए कहा कि दूसरे कई नाम की घोषणा बाद में की जाएगी। इन जोड़ों में दलित, आदिवासी, ओबीसी (यादव सहित) और अन्य जातियां शामिल होंगी। यजमान के रूप में ये कपल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, ट्रस्ट अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में राम मंदिर अभिषेक समारोह के दौरान अनुष्ठान करेंगे।

ये रही नामों की लिस्ट

14 नामों की सूची में आरएसएस से जुड़े वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रामचन्द्र खराड़ी भी शामिल हैं। आदिवासी समुदाय से आने वाले खराड़ी उदयपुर के रहने वाले हैं। तीन यजमान पीएम नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से हैं। इनमें काशी के डोम राजा अनिल चौधरी भी शामिल हैं। वाराणसी के मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर पीढ़ियों से चिताएं जलाने की जिम्मेदारी डोमों की रही है। वे खुद को पौराणिक राजा कालू डोम की विरासत का उत्तराधिकारी होने का भी दावा करते हैं।

वाराणसी से कैलाश यादव और कवीन्द्र प्रताप सिंह अन्य दो नाम हैं। सूची में अन्य नाम हैं असम के राम कुई जेमी, सरदार गुरु चरण सिंह गिल (जयपुर), कृष्ण मोहन (हरदोई, रविदासी समाज से), रमेश जैन (मुल्तानी), अदलारसन (तमिलनाडु), विट्ठलराव कांबले (मुंबई), महादेव राव गायकवाड़ (लातूर, घुमंतु समाज ट्रस्टी), लिंगराज वासवराज अप्पा (कालाबुरागी), दिलीप वाल्मिकी (लखनऊ), और अरुण चौधरी (पलवल)।

आरएसएस नेता अनिल मिश्रा और पत्नी उषा होंगे मुख्य यजमान

आरएसएस नेता अनिल मिश्रा, संगठन की अवध शाखा के सदस्य, और पत्नी उषा प्रधान यजमान (मुख्य यजमान) हैं जो अभिषेक कार्यक्रम से पहले अनुष्ठान करेंगे। मिश्रा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के 15 ट्रस्टियों में से एक हैं, जिसका गठन निर्माण की देखरेख के लिए 2020 में किया गया था।