अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का जब जनवरी में उद्घाटन होगा, तो अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम की फिलॉसिफी और मानवीय पक्ष को प्रदर्शित करता हुआ एक स्पेशल सेक्शन होगा। भगवान राम की मूर्ति गर्भगृह के अंदर स्थापित की जाएगी। वहीं, मंदिर परिसर में एक प्रदर्शनी में देश के कम से कम 75 प्रसिद्ध कलाकारों की कृतियां शामिल होंगी, जिनकी थीम ‘राम: द मैन एंड द आइडिया’ होगी।

कलाकार दिसंबर के मध्य में साइट पर काम शुरू करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति वाले समारोह के दौरान मंदिर के उद्घाटन से पहले इसे पूरा करने के लिए लगभग दो हफ्ते का समय होगा। एकेडमी के अध्यक्ष वी नागदास ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमने अयोध्या में एक बड़े कार्यक्रम की योजना बनाई है। इस कार्यक्रम में वासुदेव कामथ, धर्मेंद्र राठौड़, अद्वैत गडनायक और हर्षवर्षण शर्मा जैसे प्रमुख नाम भगवान राम के बारे में अपनी समझ पर काम करते दिखेंगे। कार्यक्रम ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जो केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में कार्य करता है।

राम मंदिर परिसर में लगेगी प्रदर्शन

एकेडमी अध्यक्ष ने कहा, “दशकों के संघर्ष के बाद राम मंदिर का निर्माण प्रत्येक भारतीय नागरिक की आकांक्षाओं की पूर्ति है। इसका उद्देश्य रामायण के आदर्शों के माध्यम से प्रेम और सामाजिक सद्भाव के सिद्धांतों को बढ़ावा देना है।” नागदास के अनुसार, प्रदर्शनी के बाद आधी कलाकृतियां एकेडमी के स्थायी संग्रह का हिस्सा बन जाएंगी जबकि बाकी मंदिर परिसर में प्रदर्शन के लिए रहेंगी।

हालांकि, भाग लेने वाले कलाकारों की फाइनल लिस्ट को शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है। अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एकेडमी प्रदर्शनी के लिए विविध विचारों और विचारधारा वाले कलाकारों को लाने की कोशिश कर रही है। अब तक केवल कामथ, राठौड़, गडनायक और शर्मा ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। हालांकि उनमें से कुछ ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे अभी भी परियोजना के लिए अपने विषयों और काम को मजबूत कर रहे हैं।

प्रदर्शनी का संचालन कला क्यूरेटर जॉनी एमएल करेंगे

प्रदर्शनी का संचालन दिल्ली स्थित कला क्यूरेटर जॉनी एमएल द्वारा किया जाएगा, जो एकेडमी में संपादक के रूप में भी काम करते हैं। जॉनी ने कहा, “ऑन-साइट परियोजना दिसंबर के मध्य में शुरू होगी और कलाकारों को दो ऐक्रेलिक-ऑन-कैनवास कलाकृतियां बनाने के लिए लगभग 10-14 दिन का समय दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कलाकृतियां शैली में आलंकारिक होंगी, जैसे कि पारंपरिक भित्ति शैली और मंदिर की मूर्तिकला शैली।

पौराणिक अनुभव पेश करेंगे

अधिकारियों ने कहा कि हालांकि कलाकारों को अपनी रचनाएँ बनाने के लिए कोई विशेष रूपरेखा नहीं दी जाएगी, “एकमात्र बाधा यह होगी कि वे रामायण के स्वीकृत संस्करणों के खिलाफ नहीं जा सकते।” उन्होंने कहा कि कलाकार एक पौराणिक अनुभव पेश करेंगे, हालांकि कुछ प्रतिबंध हैं।