साल 2002 में गुजरात दंगों के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उस समय के सीएम नरेंद्र मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी। वाजपेयी का ये बयान काफी चर्चा में रहा था। इसके कई मायने निकाले गये थे। वाजपेयी के इस बयान के बाद माना गया था कि बतौर गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी के दिन गिने-चुने ही रह गये हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी की कुर्सी बरकरार रही है। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद आरएसएस के वरिष्ठ नेता मदन दास देवी ने बताया है कि आखिर मोदी की सीएम कुर्सी क्यों नहीं गयी।
मदन दास देवी एनडीए-एक के दौरान वाजपेयी सरकार और संघ के बीच समन्वय बिठाने का काम करते थे। न्यूज- 18 की रिपोर्ट के मुताबिक मदन दास देवी ने बताया कि उस समय हालात ऐसे थे कि गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी को हटाना संभव नहीं था। बता दें कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस जन-धन की व्यापक हानि हुई थी। केन्द्र में गठबंधन की सरकार चला रहे वाजपेयी पीएम थे। माना जाता है कि वाजपेयी गुजरात के घटनाक्रम से नाराज थे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिसमें कि मोदी भी वाजपेयी के साथ थे, अटल ने कहा कि नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पालन करना चाहिए। न्यूज 18 से बातचीत में मदनदास देवी ने कहा, “अटल जी हमेशा से चाहते थे कि लोगों को कानून नहीं तोड़ना चाहिए, लेकिन गुजरात में परिस्थितियां ऐसी थी कि उनके सुझावों को लागू करना संभव नहीं था।” मदन दास देवी वाजपेयी और आडवाणी के समकालीन हैं। उन्होंने बीजेपी के शुरुआती सालों में इन दोनों के साथ लगभग 10 साल से ज्यादा तक काम किया है।
Atal Bihari Vajpayee Funeral Live Updates
जब वाजपेयी पीएम थे उस वक्त मदन दास देवी आरएसएस के महासचिव थे। मदन दास देवी अब सक्रिय नहीं हैं। वो कहते हैं, “हमलोगों ने तय किया था कि मोदी जो पहले संगठन के महासचिव के तौर पर काम कर रहे थे उन्हें गुजरात में सीएम के तौर पर ले जाया जाएगा।” मदन दास देवी वाजपेयी को याद करते हुए कहते हैं कि वे बड़े दिल के थे। उन्होंने बताया, “वे राष्ट्र हित में विपक्षी दलों को भी साथ ले आ सकते थे, मुझे लगता था कि मैं उनसे आसानी से मिल सकता हूं, वो आसानी से संपर्क किये जा सकते थे, उनसे मिलने में मुझे कभी संकोच नहीं होता था।”