उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से करीब छह महीने पहले ही युवा नेता जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली। इसी के साथ वे कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के गुट ‘जी-23’ के पहले नेता बन गए हैं, जिन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। यह वही 23 नेताओं का गुट था, जिसने पिछले साल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कांग्रेस के हर स्तर पर बदलाव की मांग की थी। हालांकि, कांग्रेस ने अब तक इन मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इस बीच राजस्थान में भी सचिन पायलट कैंप की नाराजगी की बातें सामने आने लगी हैं।

जितिन प्रसाद के इस्तीफे को लेकर यूं तो किसी कांग्रेस नेता ने खुल कर प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन दबी जुबान में प्रसाद के इस्तीफे के चर्चे जारी हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत से लेकर यूपी में कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तो साफ कह चुके हैं कि जितिन प्रसाद का कांग्रेस से जाना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन उन्होंने विचारधारा से समझौता कर लिया। दूसरी तरफ जी-23 के ही एक नेता ने बुधवार को कहा कि अगर पार्टी मुद्दों पर ध्यान नहीं देगी, तो और लोग छोड़कर जाएंगे।

एक और कांग्रेस नेता ने निजी तौर पर ये माना कि जितिन प्रसाद का इस्तीफा कांग्रेस के लिए गलत संदेश हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय, जब पूरे देश का मूड धीरे-धीरे भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हो रहा है, उस समय भी अगर कांग्रेस नेता पार्टी में कोई उम्मीद नहीं देख रहे, तो क्या कहा जा सकता है। हम तो ये भी नहीं कह सकते कि ये हमारे लिए जगाने वाली चेतावनी है, क्योंकि आखिर मुर्दों को कैसे जगाया जाएगा? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, “मिस्टर गांधी (राहुल गांधी) पार्टी में बिना कोई पोस्ट लिए ही अध्यक्ष की तरह बर्ताव करते हैं। वहीं मैडम गांधी (सोनिया गांधी) पद पर होने के बावजूद अध्यक्ष की तरह बर्ताव नहीं करतीं…इसके अलावा और भी कई मुद्दे हैं।”

एक और वरिष्ठ नेता ने कहा कि जी-23 की ओर से उठाए गए मुद्दों पर जितिन प्रसाद पलट गए थे। इसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी मिली। ऐसा माना जाने लगा था कि वे फिर से कांग्रेस की अच्छी छवि वाले नेताओं में आ गए हैं और राहुल और प्रियंका ने उन्हें जीत लिया। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस प्रमुख की भूमिका निभा रहे अधीर रंजन चौधरी, जिन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान जितिन प्रसाद के साथ करीब से काम किया है ने कहा- “सच तो यह है कि जितिन प्रसाद हर दिन की राजनीतिक गतिविधियों को पूरा करने में ही बचने लगे थे। वे कोरोनावायरस से ज्यादा डरे थे।” चौधरी ने कहा कि उनके और प्रसाद के संबंध काफी अच्छे थे और उनकी नाखुशी को लेकर कोई संकेत नहीं थे।

कांग्रेस में डर- और नेता भी छोड़ सकते हैं पार्टी: इधर कांग्रेस नेताओं में इस बात का डर है कि जितिन प्रसाद के जाने के बाद और नेता भी पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। जी-23 के एक सदस्य ने बताया कि सचिन पायलट ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने से पहले ही शशि थरूर के साथ डिनर में हिस्सा लिया था। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “सचिन के अगले कदम के लिए इंतजार कीजिए, वो काफी नाराज हैं।”

पायलट की नाराजगी- कांग्रेस में शिकायतों की सुनवाई नहीं: जितिन प्रसाद कांग्रेस के उन नेताओं में शामिल थे, जिन्हें राहुल गांधी की युवा टीम का हिस्सा माना जाता था। उनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा सभी राहुल के करीबी नेता रहे हैं। लेकिन सिंधिया के जाने के बाद से ही पार्टी में टूट की खबरें जारी थीं। बुधवार को प्रसाद के इस्तीफे के बाद जहां मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर इशारों में साथियों की नाराजगी की ओर ध्यान दिलाया, वहीं कुछ धड़ों में पायलट को लेकर चर्चा जारी रही।

दरअसल, कहा जा रहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह छेड़ने के बाद पायलट को मनाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। लेकिन उस पैनल की तरफ से अब तक एक भी बैठक नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि पायलट का गुस्सा इस बात से और भड़का है कि जहां उनकी सुनवाई नहीं हुई, वहीं पंजाब पर एक पैनल बिठाने के साथ पांच दिन उसकी मैराथन बैठक भी हो चुकी है, जिसमें मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी दिल्ली तलब किए जा चुके हैं।