दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को आरोप लगाया कि उपराज्यपाल को अधिसूचना के माध्यम से ज्यादा शक्तियां देना देश को तानाशाही की तरफ ले जाने का प्रयोग है। दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में केजरीवाल ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर हमला करते हुए कहा कि वे केंद्र के इशारे पर चल रहे हैं और आप सरकार के लिए जानबूझकर बाधाएं पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री गृह मंत्रालय की तरफ से 21 मई को जारी अधिसूचना के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा-दिल्ली में जो हो रहा है वह खतरनाक है। यह भाजपा नीत केंद्र का दिल्ली में प्रयोग है। एक-एक कर यह प्रयोग हर गैर भाजपा शासित राज्यों में किया जाएगा। वे देश को तानाशाही की तरफ ले जाना चाहते हैं। मैं सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि इस मुद्दे पर एकजुट हों।

केजरीवाल ने कहा-नौकरशाहों की नियुक्ति के साथ ही पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के मामले में उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां देने वाली अधिसूचना राजनीतिक हित को ध्यान में रखकर लाई गई क्योंकि केंद्र आप सरकार को बदनाम करना चाहता है। यह संवैधानिक मुद्दा नहीं जैसा कि मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष ने कहा। यह राजनीतिक मुद्दा है। केंद्र आप सरकार को विफल करना चाहती है। लेकिन हम संघर्ष जारी रखेंगे।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना की वैधता को चुनौती देते हुए केजरीवाल ने कहा कि केंद्र अधिसूचना के माध्यम से संविधान में बदलाव का प्रयास कर रहा है जो संसद की शक्तियों का उल्लंघन है। भ्रष्टाचार के आरोपों में एक पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय उसकी जमानत कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा रहा है।

केजरीवाल ने उपराज्यपाल पर दिल्ली सरकार के खिलाफ काम कर केंद्र को खुश करने का प्रयास करने के आरोप लगाए उन्होंने कहा-उपराज्यपाल को क्यों नहीं हटाया गया क्योंकि भाजपा इस तरह के प्रशासक चाहती है जो गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों की जिंदगी को नरक बना दें। उपराज्यपाल केवल स्थानांतरण और पदस्थापना के मामलों में रुचि ले रहे हैं न कि बिजली और पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर।

उधर, दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे व अंतिम दिन सदन में केंद्र सरकार की दिल्ली के अधिकारों को लेकर जारी अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव चंद संशोधनों के बाद पास हो गया। सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने चर्चा में भाग लेते हुए केंद्र सरकार की अधिसूचना को लोकतंत्र की हत्या बताया है।

दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा-दिल्ली में सर्वोपरि कौन है, दिल्ली की जनता या फिर गृह मंत्रालय की अधिसूचना। इस अधिसूचना से न सिर्फ विधायक बल्कि दिल्ली के अधिकारी भी दुविधा में हैं। इस अधिसूचना के जरिए दिल्ली की बहुमत वाली सरकार को बांधा जा रहा है। दिल्ली के ढाई करोड़ लोगों का क्या गुनाह है।

क्यों उनके फैसले का सम्मान नहीं किया जा रहा है। देश का संविधान लोगों को समान अधिकार देता है। लेकिन केंद्र सरकार ने सबसे पहले 23 जुलाई 2014 को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा की जांच को प्रभावित करने के लिए एक आदेश जारी किया। उससे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर रही एजंसी की जांच में रोड़ा अटकाया गया।

सदन में सत्ता पक्ष की बंदना कुमारी ने कहा-भाजपा आप की प्रचंड जीत को पचा नहीं पा रही है। आप को बहुमत देने वाली दिल्ली की जनता से बदला लिया जा रहा है। मदनलाल ने कहा कि दिल्ली के पास कौन सा दर्जा है, यह स्थिति अभी साफ नहीं है। विपक्षी दल भाजपा के सदस्य जगदीश प्रधान ने कहा कि आप को विकास के कामों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। हम सबको दिल्ली के हितों को लेकर काम करना चाहिए।