दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुरी तरह फंस चुके हैं। उन्हें ना जमानत मिल रही है और ना ही अभी तक क्लीन चिट मिलने के कोई संकेत दिख रहे हैं। इस बीच गुरुवार को जब राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई तो अरविंद केजरीवाल ने अपने बचाव में कई दलीलें पेश कीं। उनकी तरफ से यहां तक कहा गया कि सिर्फ कुछ लोगों के बयान के आधार पर एक सिटिंग सीएम को ऐसे ही गिरफ्तार कर लिया गया।

अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट के सामने कई मौकों पर बोला उन तमाम आरोपियों को छोड़ दिया गया या उन्हें जमानत मिल गई जब उन्होंने केस में उनका नाम लिया। तर्क दिया गया कि कई आरोपियों ने पिछले बयानों में उनका कोई जिक्र नहीं किया, लेकिन अंत में जैसे ही उनका नाम लिया गया, तुरंत राहत दे दी गई। केजरीवाल ने कहा कि आरोपी शरत रेड्डी ने बीजेपी को 55 करोड़ का चंदा दिया और तभी उसे जमानत मिल गई। सीएम ने दो टूक बोला कि आम आदमी पार्टी को बर्बाद करना ईडी का मकसद है।

सीएम केजरीवाल शराब घोटाले के पैसों को लेकर भी एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि आरोप लग रहा है कि 100 करोड़ रुपये लिए गए। लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना का एक आदेश है, जिसमें इस आरोप को भी संदिग्ध रखा गया है। सीएम आगे कहते हैं कि शरत रेड्डी 9 में से 8 बार अपने किसी बयान में रिश्वत का जिक्र नहीं करता, लेकिन 9वें बयान में मेरा नाम लेता है और जमानत मिल जाती है।

वैसे ईडी तो अभी भी सारा फोकस अपनी चार्जशीट पर रख रही है। असल में यहां ये समझना जरूरी है कि ईडी की जो चार्जशीट सामने आई है,उसमें एक बार नहीं कई बार अरविंद केजरीवाल केक नाम का भी जिक्र किया गया है। अब नाम इसलिए है क्योंकि जांच एजेंसी को पता चला है कि जिस समय दिल्ली की नई शराब नीति बनाई जा रही थी, तब केजरीवाल का हर उस शख्स से संपर्क था जो इस समय इस घोटाले में फंसा हुआ है। जांच एजेंसी के मुताबिक भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता के अकाउंटेंट बुचीबाबू से जब पूछताछ हुई थी, तब उनकी तरफ से भी सीएम का नाम लिया गया था। उन्होंने दो टूक कहा था कि के कविता, मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के बीच एक राजनीतिक समझ चल रही थी।