संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों के लटके होने के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को राज्‍यसभा में विपक्षी दलों को बाधाकारी राजनीति छोड़ने एवं सहयोग करने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने जेएनयू, असहिष्णुता, मु्द्रास्फीति और विदेश नीति जैसे मुद्दों पर राहुल गांधी के हमले पर पलटवार किया। जेटली ने राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। जेएनयू विवाद पर हुए विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की किसी ‘छात्र विशेष’ के प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी। उनका संकेत छात्र नेता कन्हैया कुमार की ओर था।

उन्होंने कहा कि लोगों को अभिव्यक्ति का अधिकार तो है लेकिन देश की एकता को तोड़ने के लिए इस अधिकार के उपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि कांग्रेस जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियां इन लोगों के विरोध में अग्रिम पंक्ति में रहें। कृपया ऐसा कुछ मत करिए जिससे कि इस तरह के लोगों को गरिमा मिले।’ जेटली ने कहा कि बैंकों की मौजूदा गैर निष्पादित आस्तियों का संकट कोई बड़ा संकट नहीं पर एक चुनौती जरूर है।

उन्होंने जानना चाहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने ऐसी स्थिति को टालने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए। उन्होंने राहुल गांधी के इस आरोप का जवाब दिया कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान के मामले में पूर्व के वर्षों में भारत की जो फायदेमंद स्थिति बनी थी, उसे गंवा दिया। जेटली ने कहा, ‘हम पाकिस्तान को पहली बार इस बात के लिए मजबूर कर रहे हैं कि वह इस बात की जिम्मेदारी ले कि भारत पर जो हमले हो रहे हैं, वह उसकी भूमि से हो रहे हैं।’

जेटली ने पलटवार करते हुए पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर शर्म अल शेख प्रकरण को लेकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘आप पाकिस्तान से बातचीत करने को लेकर सहमत हो गए, भले ही आतंकवाद रूके या नहीं। यह ऐसा समय है जब हमें बाधाकारी लोकतंत्र की जरुरत नहीं है। बल्कि हमारा रूख होना चाहिए कि हम मिलकर काम करें। इसी भावना के साथ इस सरकार को कामकाज करना चाहिए। सरकार द्वारा कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आई गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष पर तंज कसा और कहा, ‘सबसे खतरनाक गणनाएं वे होती हैं जो लिफाफे के पीछे की जाती हैं। किसी ने आपके नेता (राहुल) को यह समझा दिया है कि सभी गणनाएं लिफाफे के पीछे की जाती हैं।’

कच्चे तेल की कीमतें गिरने से हुए पूरे लाभ को उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाने के कदम का बचाव करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसका बडा हिस्सा उपभोक्ताओं को दिया गया है। कुछ भाग को घाटे में चल रही तेल कंपनियों को दिया गया और शेष को आधारभूत ढांचे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘आप असहिष्णुता की बात करते हैं। दिल्ली चुनाव के समय एक समुदाय विशेष के धार्मिक स्थल पर हमले की खबर को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया और दुनिया में यह छवि बनायी गयी कि एक राजनीतिक ज्यादती है। क्या यह एक राजनीतिक साजिश थी। जब पुलिस ने जांच की तो पाया गया कि यह शराब के प्रभाव में की गई चोरी या मामूली तोडफोड का मामला था। पश्चिम बंगाल में एक नन पर हमला हुआ और एक बांग्लादेशी को इसके लिए गिरफ्तार किया गया। इसे राजनीतिक रंग दे दिया गया। आज असहिष्णुता को लेकर इस बात पर बहस है कि किसी संस्था का अध्यक्ष कौन बने। मैंने इतिहास पढा है और मुझे याद पडता है कि जब एक गायक ने युवक कांग्रेस के कार्यक्रम में गाने से इंकार कर दिया था तो उस पर आकाशवाणी में रोक लगा दी गई।