Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में अपनी पहली चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मायावती के भतीजे आकाश आनंद बुधवार को कांग्रेस पर निशाना साधा। आनंद ने कांग्रेस को आरक्षण विरोधी बताया तो वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चापलूस और राहुल गांधी को दलितों के प्रति गद्दार करार दिया।
जगाधरी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित रैली में आनंद ने दावा किया कि खड़गे ने हाल ही में दिए गए एक बयान में सकारात्मक कार्रवाई की शुरूआत में बी.आर. अंबेडकर की भूमिका को नजरअंदाज कर दिया। इसके बजाय केवल जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी को इसका श्रेय दिया।
आकाश आनंद ने कहा कि कांशीराम ने हमें ऐसे लोगों से सावधान रहने को कहा था। कांशीराम ने ऐसे लोगों के लिए एक नाम दिया था जो उसी समुदाय से होने के बावजूद एससी को गुमराह करते हैं… अगर कांग्रेस अध्यक्ष खुद एससी समुदाय से होने के बावजूद बाबासाहेब के कामों को नज़रअंदाज़ करते हैं, तो कांग्रेस के लिए उनका क्या मतलब है?” बीएसपी के राष्ट्रीय कोर्डिनेटर ने पूछा। भीड़ ने जवाब दिया- “चमचा (चापलूस)।”
खड़गे ने कहा था कि “अनुसूचित जाति समुदाय को बाबा साहब अंबेडकर के पूना समझौते के माध्यम से आरक्षण मिला” और बाद में, प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने आरक्षण नीति को जारी रखा। वह अगस्त में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
आनंद ने बुधवार को यह भी कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संविधान की एक प्रति के साथ लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार किया था, लेकिन उप-वर्गीकरण के फैसले के बाद वे गायब हो गए। आनंद ने दावा किया, “वे विदेश (अमेरिका) गए और कहा कि जब स्थिति उनके अनुकूल होगी तो वे आरक्षण समाप्त कर देंगे।”
बता दें, जॉर्जटाउन में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान गांधी ने सरकार में दलितों और पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधित्व की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया था। उन्होंने कहा था, “जब भारत एक निष्पक्ष जगह होगी, तब हम आरक्षण को समाप्त करने के बारे में सोचेंगे। और भारत एक निष्पक्ष जगह नहीं है।”
आनंद ने राहुल को धोखेबाज़ बताया। आनंद ने पूछा कि क्या उन्होंने आपको भरोसा नहीं दिलाया था कि वे आपके (एससी/एसटी) अधिकारों और आरक्षण के लिए लड़ेंगे? वही व्यक्ति विदेश में आपके खिलाफ़ बोल रहा है। क्या आप ऐसे धोखेबाज़ को सत्ता में आने देंगे? क्या आप उसे राज्य में घुसने देंगे? अगली बार जब वह आपके जिले में घुसने की कोशिश करे, तो उसे बाहर निकाल दें।”
आनंद ने भाजपा पर भी निशाना साधा , हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के खिलाफ उनके भाषणों की तुलना में उनकी बयानबाजी काफी नरम थी। उस समय उनकी बुआ मायावती ने उन्हें न केवल पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक बल्कि अपने नामित “उत्तराधिकारी” के पद से भी हटा दिया था। बीएसपी प्रमुख ने छह सप्ताह बाद 23 जून को उन्हें फिर से बहाल कर दिया और उन्हें “परिपक्वता” के साथ काम करने के लिए कहा।
बुधवार को आनंद ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस मिलकर संविधान बदलने और लोगों को बेरोजगार रखने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने हरियाणा की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में राज्य में 5,000 से ज़्यादा प्राथमिक स्कूल बंद हो गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हर विभाग की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक हुआ है। उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी निशाना साधा और कहा कि वह दलित की बेटी कुमारी शैलजा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर सहमत नहीं हुए।
आनंद ने कहा, “आपने देखा होगा कि हुड्डा के समर्थकों ने शैलजा के बारे में कितनी बुरी बातें कही हैं। वह एक बड़ी दलित नेता हैं। हम उनका सम्मान करते हैं।”
बसपा ने जगाधरी सीट से दर्शन लाल को मैदान में उतारा है, जहां वह 2014 और 2019 में क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रही थी। बसपा हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 37 पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शेष 53 सीटें सहयोगी इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के लिए छोड़ी हैं। राज्य में 5 अक्टूबर को मतदान होना है।
मायावती ने अपने भतीजे के खिलाफ यह कार्रवाई मई में की थी, जब उन पर उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक भाषण में “नफरत को बढ़ावा देने” के लिए मामला दर्ज किया गया था। 28 अप्रैल को दिए गए उस भाषण में आकाश ने कथित तौर पर भाजपा सरकार को “आतंकवादियों की सरकार” कहा था। इसी रैली में उन्होंने भाजपा को चोरों की पार्टी कहा था। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि अगर भाजपा कार्यकर्ता वोट मांगने आएं तो उन्हें चप्पल, जूते और डंडों से पीटा जाए। 24 अप्रैल को गोरखपुर में आनंद ने उत्तर प्रदेश को ‘देश की अपहरण राजधानी’ बताया था। उन्होंने कहा था कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ‘गद्दारों की सरकार’ है।
(लालमणि वर्मा की रिपोर्ट)