रिहाना, मीना हैरिस, ग्रेटा थनबर्ग समेत कई वैश्विक हस्तियों द्वारा किसान आंदोलन का समर्थन किए जाने और उन बयानों पर भारत की तीखी प्रतिक्रिया के एक दिन बाद अमेरिकी प्रशासन ने इस मुद्दे पर बयान जारी कर संतुलन साधने की कोशिश की। कृषि सुधारों एवं किसानों के प्रदर्शन- दोनों को ही जायज ठहराते हुए अमेरिकी प्रशासन ने एक ओर कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन एक सफल लोकतंत्र की पहचान हैं। साथ ही उन प्रयासों का स्वागत है, जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र निवेश के लिए आकर्षित होगा। अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि वह दोनों पक्षों के बीच वार्ता के जरिए मतभेदों के समाधान को प्रोत्साहित करता है।
किसानों के प्रदर्शन को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रालय और दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी किए। अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की विशेषता हैं और उल्लेख करते हैं कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है। हम पक्षों के बीच किसी भी मतभेद का समाधान वार्ता के जरिए करने को प्रोत्साहित करते हैं।’ प्रदर्शन स्थलों पर इंटरनेट संबंधी प्रतिबंधों के बारे में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इंटरनेट सहित सूचना तक निर्बाध पहुंच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बुनियाद है तथा किसी सफल लोकतंत्र की विशेषता है।’
भारतीय विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि भारत की संसद ने एक ‘सुधारवादी कानून’ पारित किया है, जिस पर किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानून पर रोक भी लगाई गई है।
हालांकि, इस बीच कई अमेरिकी सांसदों ने भारत में किसानों का समर्थन किया है। सांसद हेली स्टीवेंस ने कहा, ‘भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की खबर से चिंतित हूं।’ एक बयान में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों को सकारात्मक बातचीत के लिए प्रोत्साहित किया। अन्य एक सांसद इलहान उमर ने भी प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति एकजुटता दिखाई। किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी खतरे में है।
अमेरिकी संसद पर हमले जैसी है लालकिले की घटना : भारत
किसानों के प्रदर्शनों पर बाइडेन प्रशासन के प्रतिक्रिया व्यक्त करने के कुछ घंटों बाद भारत ने गुरुवार को कहा कि टिप्पणियों को अवश्य ही उनकी संपूर्णता में देखा जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि 26 जनवरी को हिंसा और लाल किले में तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद भारत में हुई प्रतिक्रियाओं और प्रकट की गई भावनाओं की तुलना हाल ही में ‘यूएस कैपिटल हिल’ में हुई हिंसा और उसको लेकर अमेरिकी में हुई प्रतिक्रियाओं से करनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी प्रदर्शन को लोकतांत्रिक आचार एवं राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में तथा गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार एवं संबद्ध किसान संगठनों के प्रयासों को अवश्य ही देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को हिंसा की घटनाओं को लेकर हमारे संबद्ध स्थानीय कानूनों के मुताबिक निपटा जा रहा है।’