रफाल लड़ाकू विमान को लेकर बढ़ते विवाद के बीच वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने बुधवार को कहा कि यह सौदा ‘‘अच्छा पैकेज’’ है और विमान उपमहाद्वीप के लिए ‘‘गेमचेंजर’’ साबित होगा। डसॉल्ट एविएशन ने आॅफसेट साझेदार को चुना और सरकार तथा भारतीय वायुसेना की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘रफाल एक अच्छा लड़ाकू विमान है। यह उपमहाद्वीप के लिये काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। हमें अच्छा पैकेज मिला, हमें रफाल सौदे में कई फायदे मिले। यह बेहतरीन सेंसर, उन्नत हथियारों से लैस है। रफाल और एस400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम से हमें काफी सहायता मिलेगी।” विमान की कीमतों पर विवाद के बारे में उन्होंने कहा कि विचार करने के बाद लागत बातचीत समिति ने इसकी कीमत तय की है।” उन्होंने कहा, “यह संभव ही नहीं है कि नई कीमत पहले तय की गई कीमत से ज्यादा हो।”

विमानों की संख्या 126 से 36 किए जाने के सवाल उपर उन्होंने कहा कि संबंधित विषय पर वायुसेना से बात की गई थी। हमने कुछ सुझाव और विकल्प भी दिए थे। आगे क्या करना है, यह फैसला सकरार को करना था।” हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को लेकर उन्होंने कहा, “आपातकालीन जरूरत के लिए दोनों सरकार के बीच दो स्कॉड्रन खरीदने पर फैसला हुआ था। टेक्नाेलॉजी ट्रांसफर और लाइसेंस प्रोडक्शन मामले में एचएएल शामिल था। एचएएल को बाहर करने का कोई सवाल ही नहीं है।”

गौरतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष सरकार पर रफाल सौदे में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहा है। भाजपा ने इन सभी आरोपों को झूठा बताया है। रफाल विवाद में दिलचस्प मोड़ पिछले महीने तब आया जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से कहा गया कि फ्रांस को डसॉल्ट के वास्ते भारतीय साझेदार चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं दिया गया था। भारत सरकार ने फ्रेंच एयरोस्पेस कंपनी के लिए आॅफसेट साझेदार के रूप में रिलायंस के नाम का प्रस्ताव रखा था। मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में ओलांद के साथ बातचीत के बाद 36 रफाल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा की थी। (एजेंसी इनपुट के साथ)