कोरोना की दूसरी लहर हर तरह से जानलेवा साबित हो रही है। आलम यह है कि संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं मिल पा रही है। गुजरात के अहमदाबाद के हालात को देखकर कैथोलिक और पारसी समुदाय ने अपनी पुरातन मान्यताओं से किनारा करते हुए कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार की अनुमति अपने यहां दे दी है।
कैथोलिक बिशप एंथनासियस स्वामी ने pastoral letter 12 अप्रैल को लिखा। इसमें कहा गया कि कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार के लिए अपने नियमों से परे जाकर काम करना गलत नहीं है। उनका कहना है कि संस्कार के बाद अस्थियों को संरंक्षित करके रखा जाए। उधर, पारसी समुदाय ने भी इसी लाइन पर अपील की है। डॉ. खुशरू घडियाली ऑफ वकील एडड्रेन की तरफ से कहा गया कि अंतिम संस्कार के लिए नियमों में बदलाव केवल कोरोना संक्रमितों के लिए ही हैं। उनका कहना है कि संकट की इस घड़ी में वह सरकार के साथ हैं।
यूपी की राजधानी लखनऊ में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। यहां बैकुंठ धाम और गुलाला घाट पर लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। आम दिनों में बैकुंठ धाम में रोजाना 20 और गुलाला घाट में 10 शवों का संस्कार किया जाता है, लेकिन अब हालात बिलकुल उलट हैं। बुधवार को दोनों जगहों पर 124 शव रखे हुए थे। मंगलवार को यह आंकड़ा 120 था तो सोमवार को 130 था।
Bihar | Around 10-12 bodies including 6-7 COVID19 bodies have been brought here today. Today, the number of bodies brought here is less as compared to other days. We have been working for nearly 24 hours: Rajkumar, Incharge, Patna Nagar Nigam crematorium pic.twitter.com/aXFcjQVe9h
— ANI (@ANI) April 15, 2021
शमशान घाट के स्टाफ का कहना है कि परिजनों से बातचीत में उन्हें पता चलता है कि कौन सा व्यक्ति संक्रमण का शिकार हुआ। उनका कहना है कि अंतिम संस्कार के लिए लाए गए ज्यादातर शव उन लोगों के थे जिन्होंने अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ा या फिर वहां भर्ती होने के इंतजार में। बुधवार को यूपी में कुल 20 हजार 510 रिकॉर्ड केस सामने आए। लखनऊ में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 5433 रहा। सरकारी आंकड़े के मुताबिक अभी तक यूपी में कुल 68 लोगों की कोरोना से मौत हुई है।
शमशान के स्टाफ का कहना है कि बिजली चालित शवदाह मशीनें कम पड़ रही है। शमशानों में 60 लकड़ी की चिताओं का इंतजाम किया गया है। हालांकि, यह भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है, क्योंकि 50 शव अभी भी लाइन में हैं। उधर, मृतकों के परिजनों की अपनी समस्याएं हैं। कुछ का कहना है कि अंतिम संस्कार के नाम पर शमशान का स्टाफ उनसे पैसे ऐंठ रहा तो पुलिस वाले भी पीछे नहीं हैं। शमशान के बाहर खड़ी गाड़ियों से वो गलत पार्किंग के नाम पर मनमाना जुर्माना वसूल रहे हैं।
बिहार के हालात देखे जाएं तो यहां भी कमोवेश वही स्थिति है। पटना नगर निगम की देखरेख में चलने वाले शमशान के इंचार्ज राजकुमार का कहना है कि रोजाना 10-12 शव यहां लाए जा रहे हैं। इनमें से 6-7 कोरोना संक्रमितों के होते हैं। उनका कहना है कि वो 24-7 की तर्ज पर दिन रात काम कर रहे हैं।
