सेना में भरती की अग्निपथ स्कीम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने उस याचिका को खारिज कर दिया जो स्कीम पर सवाल उठा रही थी। एडवोकेट एमएल शर्मा ने सीजेआई के सामने दलील दी कि स्कीम को केंद्र सरकार लॉन्च नहीं कर सकती थी। इसे संसद से पास कराया जाना था। एडवोकेट केस की सुनवाई को टालने के लिए सीजेआई से बोले कि उन्हें ब्रेन अटैक हुआ था। डॉक्टरों ने बोलने के लिए भी मना किया है। लिहाजा तीन महीने बाद की तारीख दी जाए। लेकिन सीजेआई ने दो टूक कहा- सॉरी, रिट डिसमिस।

सीजेआई की बेंच ने इसके साथ उस याचिका पर भी सुनवाई करने से मना कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने अग्निपथ लॉन्च करने से पहले सेना की तीनों विंगों (आर्मी, एयरफोर्स, नेवी) में भरती के लिए आवेदन मंगवाए थे। तमाम प्रक्रिया को पूरा करने के बाद भरती करने से मना कर दिया गया।

एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से कहा कि ये सरकार की वायदा खिलाफी है। लेकिन चंद्रचूड़ ने उनकी किसी भी दलील को मानने से मना कर दिया। उनका कहना था कि उन्हें नहीं लगता कि ये भरती सेना में होनी थी। कोई कांट्रेक्ट पर काम नहीं दिया जाना था। उन्हें नहीं लगता कि इसमें किसी भी तरह की वायदा खिलाफी है। सीजेआई ने इस याचिका को भी डिसमिस करते हुए कहा- सॉरी नहीं सुन सकते इसे।

दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निपथ को माना था सही

दरअसल अग्निपथ स्कीम के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट ने की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निपथ को सही मानते हुए इसके खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की बेंच के समक्ष दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।

एडवोकेट अरुनावा मुखर्जी ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि वो स्कीम का विरोध नहीं कर रहे। बल्कि उनकी फरियाद इस बात को लेकर है कि 2022 में अग्निपथ को लॉन्च करने से पहले सरकार ने जो भर्तियां सेना की तीनों विंगों में निकाली थीं, कम से कम उन्हें तो पूरा कर लिया जाए।

एडिशनल सॉलीसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कहा कि ये कोई साधारण भरती का मामला नहीं है। सेना में भरती हमेशा से खास होती रही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सारी चीजें साफ कर दी थीं। फिलहाल इन पर सुनवाई की कोई जरूरत उन्हें नहीं लगती है। याचिका रद की जाए।

प्रशांत भूषण की एक याचिका पर सुनवाई को सहमत हुए CJI

तमाम दलीलों को सुनने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने सारी याचिकाओं को रद करते हुए केवल प्रशांत भूषण की उस याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई जिसमें वो अलग से पेश हुए थे। इस मामले की सुनवाई 17 अप्रैल को की जाएगी। अपनी याचिका में भूषण ने कहा था कि कैंडिडेट्स को तमाम प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद आश्वस्त किया गया था कि उन्हें जल्दी ही नियुक्ति पत्र मिलेंगे। लेकिन वो तीन सालों से केवल इंतजार कर रहे हैं।