राज्यसभा की 57 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा को साफतौर पर कांग्रेस पर बढ़त मिलती दिख रही है। लेकिन अभी भी एनडीए के पास ऊपरी सदन में बहुमत नहीं है जोकि महत्वपूर्ण बिल पास कराने में समस्या पैदा करेगा। एनडीए पांच सीटों की बढ़त के साथ अब सदन में 74 सदस्यों वाला गठबंधन है। जबकि यूपीए तीन सीट हारकर 71 सदस्यों पर पहुंच गया है।
खाली हुई 57 में से 14 सीटें बीजेपी के पास थीं, लेकिन चुनाव के बाद 17 सीटों पर भाजपा को जीत मिली। हरियाणा से सुभाष चंद्रा भी बीजेपी के समर्थन से जीते। अगर उन्हें भी शामिल कर लिया जाए तो बीजेपी को इस बार 4 सीटों का फायदा हुआ। अब राज्यसभा में बीजेपी की कुल सीटें 54 हो गई हैं और उसने पहली बार ऊपरी सदन में 50 का आंकड़ा पार किया है।
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कांग्रेस पहली बार 60 के अंदर सिमट गई है। खाली हुई 14 सीटें उसके पास थीं, लेकिन चुनाव के बाद उसे सिर्फ 9 सीटें ही मिलीं। यानी पांच सीटों का बड़ा नुकसान पार्टी को झेलना पड़ा। 60 सीटों के साथ कांग्रेस अब भी राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन ऊपरी सदन में बीजेपी की बढ़ती ताकत से पार्टी के अंदर खलबली मचना स्वाभाविक है।
कांग्रेस के ज्यादातर नए सांसद वकील हैं, इसे राज्यसभा में सुब्रमण्यम स्वामी को काउंटर करने के लिए कांग्रेस की रणनीति माना जा रहा है।
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बीजेपी, टीडीपी, अकाली दल, शिवसेना, पीडीपी, आरपीआई, बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट, नागालैंड पीपल्स फ्रंट, और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को मिलाकरएनडीए राज्यसभा में 72 के आंकड़े पर है, लेकिन यूपीए के पास इस सदन में डीएमके, केरल कांग्रेस और मुस्लिम लीग की सीटें जोड़कर कुल 66 सीटें ही बनती हैं।
बीजेपी के बाद इस चुनाव में सबसे ज्यादा फायदे में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी रही। 4 सीटों के फायदे के साथ सपा का राज्यसभा में आंकड़ा 19 तक पहुंच चुका है और वह सदन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। मायावती की बसपा ने इन चुनाव में 4 सीटें गंवा दी। बीजेपी और कांग्रस के लिए 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में अपने दम पर कोई भी बिल पास कराना संभव नहीं है। सपा, एआईएडीएमके (13), जेडीयू (10) और तृणमूल कांग्रेस (12) फिलहाल राज्यसभा में किंगमेकर की स्थिति में हैं।