पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और किसान नेता राकेश टिकैत के बीच बुधवार को कोलकाता में उनके कार्यालय में मुलाकात हुई। इस मौके पर तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने उन्हें आश्वस्त किया कि वो किसानों के आंदोलन को हर तरह से समर्थन देंगी। उनका कहना था हम अपने किसान भाइयों और बहनों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
सीएम ममता बनर्जी के फेसबुक के मुताबिक किसान नेता राकेश टिकैत और भारतीय किसान यूनियन के अन्य सदस्यों से पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के साथ नबन्ना में उनकी मुलाकात हुई। इस दौरान हमने देश भर में कठोर केंद्र सरकार के कठोर किसान कानूनों के साथ-साथ अन्य दबाव वाले मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने लिखा कि “मैंने अपने प्यारे किसानों के लिए अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया। बंगाल में हम पहले ही इन कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के कई सांसद भी किसानों के विरोध में आंदोलन में शामिल रहे हैं और मैं व्यक्तिगत रूप से किसानों के पास गई हूं, उन्हें अपना पूरा समर्थन दिया है। वर्तमान हालात मुझे बहुत पीड़ा देता है।”
मुख्यमंत्री ने लिखा, “हमारे किसान भाइयों के प्रति केंद्र की उदासीनता इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। जैसा कि मैंने पहले कहा है, किसानों के अधिकारों से किसी भी तरह से समझौता नहीं किया जा सकता है और हम भारतीय जनता पार्टी को उनकी असंवेदनशील, गलत नीतियों के साथ उखाड़ने के लिए हर लड़ाई एक साथ लड़ेंगे। हम अपने किसान भाइयों और बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।”
बनर्जी ने कहा, “स्वास्थ्य क्षेत्र से लेकर किसानों और उद्योगों, सभी क्षेत्रों के लिए भाजपा का शासन अनर्थकारी रहा है। हम प्राकृतिक और राजनीतिक दोनों तरह की आपदाओं का सामना कर रहे हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान नेताओं ने उनसे अनुरोध किया है कि वह किसानों के विषयों पर अन्य राज्यों के नेताओं से बात करें और किसान संगठनों के साथ संवाद आयोजित करें।
बीकेयू के महासचिव युद्धवीर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हम चुनावी जीत के लिए ममता बनर्जी को धन्यवाद देने के साथ किसानों को उनकी फसलों के लिए उचित एमएसपी दिलाने के कदम के लिए उनका समर्थन चाहते हैं।” सिंह ने कहा कि वह बनर्जी से पश्चिम बंगाल में फलों, सब्जियों और दुग्ध उत्पादों के लिए एमएसपी तय करने की मांग करना चाहते है क्योंकि यह बाकी जगहों पर “एक मॉडल की तरह काम करेगा।” टिकैत और अन्य किसान नेता पिछले एक साल से संसद द्वारा पारित तीन कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका मानना है कि इन कानूनों से खेतीबाड़ी का बाजारीकरण हो जाएगा और छोटे किसानों को बड़ी खुदरा कंपनियों के शोषण से पर्याप्त सुरक्षा भी नहीं मिलेगी।