Adipurush Row: फिल्म ‘आदिपुरुष’ को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक्टर समेत कई नेताओं ने इस फिल्म की कड़ी शब्दों में निंदा की है। इस बीच फिल्म के डॉयलाग लेखक मनोज मुंतशिर को मुंबई पुलिस ने सुरक्षा प्रदान की है। इससे पहले मुतंशिर ने खुद पर खतरे को देखते हुए मुंबई पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी। बताया जा रहा है कि बवाल के बीच मुंतशिर ने खतरे की आशंका जताई थी। वहीं आदिपुरुष को लेकर विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी भी जारी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस मामले में कूद पड़े हैं। उन्होंने ट्वीट कर इस मामले में जोरदार तंज कसा है।

अखिलेश यादव ने लिखा, ‘जो राजनीतिक आकाओं के पैसों से, एजेंडेवाली मनमानी फ़िल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी फ़िल्मों को सेंसरबोर्ड का प्रमाणपत्र देने से पहले, उनके ‘राजनीतिक-चरित्र’ का प्रमाणपत्र देखना चाहिए। क्या सेंसरबोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है?’

इस फिल्म में तेलुगू सुपरस्टार प्रभास ने काम किया है। डायरेक्टर ओम राउत ने 500 करोड़ रुपये के बजट में इस फिल्म को बनाया है। रामायण की महागाथा पर आधारित ‘आदिपुरुष’ में भगवान राम और माता सीता के वनवास और रावण संग राम के बीच युद्ध को दिखाया गया है। फिल्म 16 जून को रिलीज हुई थी। पहले दिन 140 करोड़ का रिकॉर्ड कलेक्शन किया था। लेकिन फिल्म पर विवाद भी लगातार हो रहा है।

विवाद को बढ़ता हुआ देखकर रविवार को लेखक मनोज मुंतशिर ने एक बड़ा ऐलान किया था। लेखक ने कहा है कि इसी हफ्ते फिल्म के विवादित डायलॉग बदले जाएंगे और उन्हें फिल्म में शामिल किया जाएगा। मनोज मुंतशिर ने रविवार को ट्वीट कर जानकारी दी।

मनोज मुंतशिर ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना। सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है। आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुईं। उन सैकड़ों पंक्तियों में जहां श्रीराम का यशगान किया, मां सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं। मेरे ही भाइयों ने मेरे लिए सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे। वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही मां को अभद्र शब्दों से संबोधित किया। मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहां से आ गई कि वो श्रीराम का दर्शन भूल गए जो हर मां को अपनी मां मानते थे। शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों। हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया।’

मुंतशिर ने लिखा, ‘क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना, ‘शिवोहम’ नहीं सुना, ‘राम सिया राम’ नहीं सुना? आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियां भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं। ‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे ’भी तो मैंने ही लिखा है। मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे। हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जायेगा। हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे।’

लेखक ने आगे लिखा, ‘ये पोस्ट क्यों? क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है। मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी। मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएंगे। श्री राम आप सब पर कृपा करें!’