Gujarat Politics: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों बाद से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच कड़वाहट आई थी। यह खटास अब गुजरात में भी दिखने लगी है। गुजरात में कांग्रेस के लिए और भी बुरी खबर यह है कि उसे बीजेपी निकाय चुनावों में करारी शिकस्त दी है। AAP ने गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के गढ़ों में सेंध लगा दी है, जिसका फायदा बीजेपी ने उठाया है।
आम आदमी पार्टी ने स्थानीय निकायों में 2,000 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन महज 32 सीटों पर जीत हासिल की थी। खास बात यह भी है कि बीजेपी द्वारा जीती गई लगभग 250 सीटों पर कांग्रेस को पछाड़कर दूसरे नंबर पर रही है, जो कि कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा चिंताजनक रहा है।
आप ने बिगाड़ा आप का खेल
दिल्ली विधानसभा के नतीजे 8 फरवरी को घोषित होने के एक हफ्ते बाद 6 फरवरी को 68 नगर पालिकाओं सहित स्थानीय निकायों के लिए मतदान हुआ। राज्य की बाइपोलर राजनीति में आप एक नया चेहरा है। आप की जीत गुजरात की 27 नगरपालिकाओं में हुई। देवभूमि द्वारका जिले की सलाया नगरपालिका में इसने 13 सीटें हासिल कीं, जिससे कांग्रेस को 14 सीटों के साथ डर का सामना करना पड़ा, जबकि कर्जन में इसने आठ सीटें जीतीं, जिसमें दो बीजेपी के बागी उम्मीदवार भी शामिल थे।
इससे नगरपालिका में प्रतिष्ठा की लड़ाई जीत ली। आप मंगरोल और गरियाधर में भी मुख्य विपक्ष के रूप में उभरी, जहां इसने क्रमशः चार और तीन सीटें जीतीं। पार्टी ने वांकानेर और जामजोधपुर में भी एक-एक सीट जीती।
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पिछले चुनाव में हुआ था आप को फायदा
पार्टी के इस प्रदर्शन से आप के कार्यकर्ता काफी जोश में है। संयोग से आप ने 2021 में सूरत नगर पालिका में 27 सीटों के साथ गुजरात में अपना पहला चुनाव जीता था। अगले साल हुए विधानसभा चुनावों में, इसने पांच विधानसभा सीटें जीतीं। पार्टी के पास वर्तमान में विधानसभा में चार विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 12 हैं, जिनमें से पाँच ने इस्तीफा दे दिया है और 2022 के चुनावों के बाद बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की है।
आप के गुजरात प्रवक्ता करण बरोट ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी की 32 सीटें जीतना लोगों के जनादेश का प्रतिबिंब है, जो दिल्ली विधानसभा चुनावों में पार्टी को नहीं दिया गया। बरोट ने कहा कि हमें दिल्ली में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले, फिर भी, आप इतनी सीटों के साथ विपक्ष में बैठने वाली पहली पार्टी होगी (दिल्ली में)… ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि BJP ने सत्ता हथियाने के लिए साम दाम दंड भेद का इस्तेमाल किया, दिल्ली का परिणाम लोगों का जनादेश नहीं था।
आप नेता बोले- मंत्री के क्षेत्र में फिसली बीजेपी
गुजरात में पार्टी के प्रदर्शन पर आप नेता ने कहा कि इससे कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के अलावा एक मजबूत संदेश भी गया है। संदेश यह है कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए सभी मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है। हमने कुल 667 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से लगभग 250 पर हम कांग्रेस को पछाड़ते हुए दूसरे स्थान पर रहे। बरोट ने कहा कि हमने कुल 32 सीटें जीतीं, और अगर हम सलाया में दो और सीटें जीतते, तो हम वहां बोर्ड बना सकते थे। वास्तव में, सलाया में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, जबकि यह राज्य के कैबिनेट मंत्री का क्षेत्र है।
क्या हैं कांग्रेस की राय?
चुनावों को लेकर गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि पार्टी नतीजों को लेकर चिंतित है। दोशी ने कहा कि कांग्रेस ने स्थानीय निकाय चुनाव हर स्तर पर अपने दम पर लड़ा। हम नतीजों से परेशान होने से ज़्यादा चिंतित हैं। यह हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं है और हम इस पर गौर करेंगे। हालांकि, हम सभी जानते हैं कि चाहे आप हो, बीएसपी हो या एआईएमआईएम, इन पार्टियों के कई उम्मीदवार बीजेपी की मिलीभगत से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए मैदान में उतारे गए।
खास तौर पर, पार्टी को राजुला, चोरवाड़, राधनपुर, महुदा और वंथली नगरपालिकाओं में भाजपा के हाथों हार की उम्मीद नहीं थी, या सलाया में कांटे की टक्कर देखने को नहीं मिली। दोशी ने कहा कि हम सलाया को बचाने में कामयाब रहे, लेकिन यह सच है कि अन्य नतीजे अपेक्षित नहीं थे। हमारे उम्मीदवारों का नाम वापस लेना और भाजपा द्वारा अत्यधिक दबाव भी कारक है। हमें जूनागढ़ जीतने की बहुत उम्मीद थी, लेकिन नाम वापस लेने से हमारी संभावनाएं कम हो गईं। फिर भी, हम जूनागढ़ में पिछली बार जीती गई एक सीट के मुकाबले 11 सीटें जीतने में कामयाब रहे। गुजरात से संबंधित अन्य सभी खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।