दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के खिलाफ प्रस्ताव पास हुआ। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रस्ताव पर बहस के दौरान कहा कि मेरे परिवार और पूरे कैबिनेट के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं। सभी को एनपीआर के तहत डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाएगा। ये डर सबको सता रहा है। केंद्र से मेरी अपील है की एनपीआर और एनआरसी को रोक दिया जाए।

केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली विधानसभा में 70 विधायक हैं। लेकिन सिर्फ 9 विधायकों ने कहा की उनके पास जन्म प्रमाण पत्र है। उन्होंने पूछा कि 90% लोगों के पास ये साबित करने के लिए कोई सरकारी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। क्या सबको डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा?

दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 62 विधायक हैं। वहीं भाजपा के पास 8 विधायक हैं। केजरीवाल के बयान के मुताबिक, उनके पूरे कैबिनेट और सदन के 61 विधायकों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि इनमें भाजपा के कितने विधायक बिना जन्म प्रमाण के हैं।

केजरीवाल ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि सभी केंद्रीय मंत्री सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी किए अपने-अपने जन्म प्रमाण पत्र भी दिखाएं। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार से हाथ जोड़ के विनती है कि वह एनआरसी और एनपीआर को वापस ले ले। उन्हें लागू नहीं किया जाना चाहिए।

एनपीआर के खिलाफ हैं कई राज्यः बता दें कि अब तक कुछ राज्यों ने एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं। इनमें ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले पश्चिम बंगाल और लेफ्ट पार्टी नीत केरल शामिल हैं। इसके अलावा जदयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी खुल कर एनपीआर के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। आंध्र प्रदेश की जगनमोहन रेड्डी सरकार ने भी 2010 के फॉर्मेट वाले एनपीआर को लागू करने की मांग की थी। एक दिन पहले (12 मार्च) को एनडीए में भाजपा की सहयोगी एआईएडीएमके ने भी तमिलनाडु में एनपीआर लागू करने से इनकार कर दिया।