दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में वित्त वर्ष 2015-16 के पहले तीन महीने के लिए लेखानुदान पेश किया। दिल्ली सरकार अगले दो माह में पूरा बजट पेश करेगी। लेखानुदान दिल्ली के वित्त मंत्री और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने पेश किया।

उन्होंने अपने भाषण में केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली को दी जाने वाली राशि को काफी कम बताया। उन्होंने कहा कि दिल्लीवासी केंद्र सरकार को सर्विस टैक्स और आयकर के रूप में जितनी राशी देते हैं, उस हिसाब से केंद्र सरकार दिल्ली को विकास कार्यों के लिए उतनी राशि नहीं लौटाती है।

मनीष सिसौदिया ने बताया कि 2015-16 के लिए दिल्ली सरकार के लिए कुल 37,750 करोड़ रुपए के बजट अनुमान प्रस्तावित हैं। इनमें 21,500 करोड़ रुपए गैर योजना व्यय,15350 करोड़ रुपए योजना व्यय और 900 करोड़ रुपए केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए प्रस्तावित हैं। कुल प्रस्तावित व्यय 37750 करोड़ रुपए की वित्तीय व्यवस्था में मुख्य रूप से 32641 करोड़ रुपए स्वयं के कर राजस्व से, 1327 करोड़ रुपए गैर राजस्व, 681 करोड़ रुपए पूंजी प्रप्तियों और 900 करोड़ रुपए लघु बचत कर्जों से जुटाए जाएंगे। इसके अलावा 325 करोड़ रुपए भारत सरकार से केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी, 395 करोड़ रुपए सामान्य केंद्रीय सहायता और 900 करोड़ रुपए केंद्र प्रयोजित कार्यक्रमों आदि के रूप में शामिल है।

सिसौदिया ने बताया कि गैर योजना व्यय के तहत मुख्य रूप से स्थानीय निकायों को हस्तांतरित की जाने वाली 2850 करोड़ रुपए की कर राशि और स्टैंप व पंजीकरण शुल्क और मोटर वाहन करों में उनकी 1394 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी शामिल है। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को परिचालन घाटा पूरा करने के लिए दी जाने वाले 4992 करोड़ रुपए के ब्याज और मूलधन राशि और 2015-16 के दौरान घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली और पानी सबसिडी के लिए 1690 करोड़ रुपए की राशि भी गैर योजना व्यय में शामिल है।

वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष 2014-15 के लिए संशोधित बजट अनुमान पेश किया। उन्होंने कहा कि 2014-15 के लिए दिल्ली सरकार का 36766करोड़ रुपए का नियमित बजट संसद ने 18 जुलाई 2014 को अनुमोदित किया था। इसमें 16700 करोड़ रुपए योजना व्यय, 1000 करोड़ रुपए केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए और 19066 करोड़ रुपए गैर योजना व्यय के लिए शामिल थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के नागरिकों से किए गए वायदों में से एक 400 यूनिट तक हर महीने की खपत करने वाले घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को एक मार्च 2015 से मौजूदा शुल्क में 50 फीसद सबसिडी देने का वायदा पहले ही पूरा कर दिया गया है।

इस फैसले से करीब 36 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। इसके लिए चालू वित्त वर्ष में 70 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इसके लिए संशोधित अनुमान में प्रावधान किया गया है। सरकार ने दिल्ली के उन घरेलू उपभोक्ताओं को जिनके पास पानी के कनेक्शन हैं, हर महीने 20 हजार हजार लीटर पानी मुफ्त देने की योजना भी शुरू कर दी गई है। दिल्ली जल बोर्ड की ओर से 18.09 लाख घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पानी के बिल भेजे जाते हैं। इनमें से 9.55 लाख उपभोक्ता यानी 50 फीसद से ज्यादा को इसका लाभ मिलेगा। चालू वित्त वर्ष में पेयजल के सबसिडी के लिए करीब 21 करोड़ रुपए की जरूरत है। इसका प्रावधान 2014-15 के संशोधित अनुमान में किया गया है।

वित्त मंत्री ने सदन में दिल्ली का आर्थिक परिदृश्य भी रखा। उन्होंने बताया कि दिल्ली का सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) मौजूदा मूल्यों के आधार पर चालू वित्त वर्ष में 4,51,154 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। यह पिछले साल की तुलना में 15.35 फीसद ज्यादा होगा।

अगर स्थिर मूल्यों के आधार पर बात करें तो दिल्ली की अर्थव्यवस्था की विकास दर 2014-15 में 8.2 फीसद रहने का अनुमान है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह विकास दर 7.4 फीसद आंकी गई है। राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में दिल्ली का योगदान 3.86 फीसद है, जबकि देश की कुल आबादी में दिल्ली की कुल हिस्सेदारी केवल 1.4 फीसद है। उन्होंने बताया कि सकल घरेलू उत्पाद के अग्रिम अनुमानों के मुताबिक 2014-15 में दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 240849 रुपए होने का अनुमान है। यह राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय से 2.7 गुना ज्यादा है। देश में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यकित आय 88533 रुपए है।

सिसौदिया ने बताया कि दिल्ली की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का प्रमुख योगदान है, जो कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 87.48 फीसद है। इसके बाद शेष योगदान उद्योग और कृषि का है। सेवा कर, आयकर, कंपनी कर और सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क में दिल्ली का योगदान अन्य महानगरों की तुलना में काफी महत्त्वपूर्ण है। इसके बावजूद केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी 2001-02 से 325 करोड़ रुपए पर स्थिर रखी गई है।

14 वें केंद्रीय वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 फीसद से बढ़ाकर 42 फीसद करने की सिफारिश की है। केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते दिल्ली को इस सिफारिश का लाभ नहीं मिल रहा है। हालाकि अन्य राज्यों की भांति दिल्ली का भी एक अलग कंसोलिटेड फंड है। सरकार के सभी वित्तीय लेनदेन दिल्ली सरकार स्वय के संसाधनों से पूरा करती है। यदि यह सिफारिश दिल्ली पर लागू होती तो उसे सिफारिश अवधि 2015-20 के दौरान करीब 25 हजार करोड़ रुपए मिलते।

वित्त मंत्री ने कहा कि उनके पास अन्य राज्यों की तरह भूमि जैसे विशाल संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। सरकार को अस्पताल, कालेज, तकनीकि संस्थान बनाने हों या फिर ग्रिड सब स्टेशन बनाने हों या बस टर्मिनल या वृद्ध आश्रम इसके लिए ऊंची कीमत पर डीडीए से जमीन खरीदनी पड़ती है। इससे राज्य के वित्तीय संसाधनों का एक बड़ा खर्च होता है।

उन्होंने मांग की कि बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए दिल्ली सरकार को मुफ्त में जमीन उपलब्ध कराई जाए। शहर के विकास के लिए डीडीए के पास संचित संसाधनों को साझा किया जाए। उन्होंने कहा कि डीडीए की नगर विकास योजना में राज्य सरकार की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है। उन्होंने शहर के विकास के लिए एक महानगरीय योजना निकाय बनाने की जरूरत बताई।

 

नरेंद्र भंडारी