किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि बीजेपी ने देश की आजादी के लिए आंदोलन नहीं किया। छल से लोगों की भावना भड़काई, वोट लिए और गद्दी पर बैठ गए। जब रिपोर्टर ने पूछा कि 26 जनवरी के बाद आपका आंदोलन थोड़ा बदला था। उसमें दीप सिद्धू का नाम आया। दीप सिद्धू सलाखों के पीछे है। दीप सिद्धू के चलते आपके आंदोलन का नाम खराब हुआ था। इस पर राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार बिल वापसी तो नहीं चाहती है लेकिन मुद्दों को उलझाना चाहती है। दीप सिद्धू का फसलों के रेट से कोई लेना देना नहीं है। दीप सिद्धू हमारे लिए मुद्दा नहीं है। न ये हार जीत का सवाल है कि किले पर कब्जा हो गया। मुद्दा ये है कि सरकार तीन कृषि कानूनों को वापिस ले। MSP पर कानून बनाने से देश के किसानों का भला होगा।
टिकैत ने कहा कि जिन लोगों ने उपद्रव किया वे सलाखों के पीछे हैं। हम बस यही चाहते हैं कि एमएसपी पर कानून बन जाए, कृषि कानून वापिस हों और किसानों पर दायर मुकदमे वापिस लिए जाएं। शांति से गांव जाएंगे खेती बाड़ी करेंगे। रिपोर्टर ने पूछा कि आपको लगता है कि इस आंदोलन में देश विरोधी लोग आ गए हैं? टिकैत ने कहा कि इस आंदोलन का सारा लेना देना कृषि से है। कानून वापसी की जगह सरकार तार ढूंढ रही है। न तो हमें उस लाइन पर जाना है। न लेना देना है।
राकेश टिकैत ने कहा कि जब मेरे पिता दिल्ली आए थे कोई किसान संसद में नहीं गया। दीप सिद्धू से बयान दिलवाने के बाद उसको लाल किले की चोटी पर पहुंचा दिया। दीप सिद्धू को किसने दिशा निर्देश दिए ये जांच का विषय है। सरकार के लिए व्यापार प्राथमिकता हो गया और देश का झंडा दूसरे नंबर पर हो गया। टिकैत ने कहा कि सरकार करा रही है ये सब। सरकार का एजेंडा है। इन लोगों को देश और किसानों से लेना देना नहीं है। किसान को चक्रव्यूह में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार को इस तरह की राजनीति देश के किसानों के साथ नहीं करनी चाहिए। सरकार को इस आंदोलन को शाहीन बाग नहीं समझना चाहिए। न किसान जाएंगे। टिकैत ने कहा कि जो काम शाहीन बाग वालों के साथ किया था वही किसानों के साथ करने की कोशिश की गई।
टिकैत ने कहा कि जब आडवाणी और जोशी जी अयोध्या में थे तो भीड़ को कैसे नियंत्रित नहीं कर सके? नड्डा ने कहा कि भीड़ के आगे बैरिकेड काम नहीं करते हैं। आज सरकार कंटीले तार लगा रही है। दीप सिद्धू मोहरे के सिवाय कुछ नहीं है। पीएम ने किसानों को आंदोलनजीवी कहकर अच्छा किया। गांधी, भगत सिंह भी आंदोलनजीवी थे। पब्लिक में तो चला गया कि जो आंदोलन करेगा वो आंदोलनजीवी है।