दिल्ली सरकार का कहना है कि कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के साथ, प्लाज्मा थेरेपी दिल्ली-एनसीआर में गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 मरीजों के शीघ्र स्वस्थ्य करने में कारगर साबित हुआ है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पहल पर देश का पहला प्लाज्मा बैंक 2 जुलाई को आईएलबीएस अस्पताल में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य कोविड के गंभीर मरीजों को निःशुल्क उच्च गुणवत्ता का प्लाज्मा प्रदान करना था। इसके बाद, दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में एक और प्लाज्मा बैंक शुरू किया गया। जिससे अब तक 710 लोगों को मुफ्त प्लाज्मा दिया गया है, जिससे कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज संभव हो पाया। अब तक 921 लोग प्लाज्मा दान कर चुके हैं।

दिल्ली माॅडल का यह सिस्टम देश के अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के आईएलबीएस और एलएनजेपी अस्पताल में स्थापित प्लाज्मा बैंक से दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार व एमसीडी के अस्पतालों के अलावा सभी निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे कोरोना के गंभीर मरीजों को निशुल्क प्लाज्मा उपलब्ध कराया जा रहा है। आज की तारीख तक आईएलबीएस और एलएनजेपी के प्लाज्मा बैंक से 710 यूनिट प्लाज्मा दिल्ली के विभिन्न सरकारी व निजी अस्प्तालों में इलाज करा रहे कोरोना के गंभीर मरीजों को निशुल्क दिया जा चुका है।

एक प्रेस रिलीज के जरिए केजरीवाल ने बताया कि दुनिया के सभी विशेषज्ञों का मानना था कि प्लाज्मा से कोरोना के गंभीर मरीजों का कारगर इलाज हो सकता है। इसके बाद दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से प्लाज्मा थेरेपी की इजाजत मांगी।

केंद्र सरकार से इजाजत के बाद प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल दिल्ली में शुरू हुआ। इसके नतीजे बेहतर आए। इसके बाद इसका विस्तार किया गया। आम जनता को प्लाज्मा मिलने में दिक्कत न हो, इसके लिए दिल्ली सरकार द्वारा प्लाज्मा बैंक स्थापित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य कोविड-19 मरीजों को शीघ्र स्वस्थ्य करना और मौतों की संख्या शून्य करना था।

प्लाज्मा बैंक के लॉन्च के दौरान, सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों से अधिक से अधिक संख्या में आगे आकर प्लाज्मा दान करने और कोरोना के खिलाफ दिल्ली की लड़ाई में प्रभावी योगदान देने की अपील भी की थी।

केजरीवाल ने कहा कि कोविड -19 मरीजों की मृत्यु दर कम करने में प्लाज्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और जब तक कोई टीका नहीं आता है, तब तक कॉन्वेसेंट प्लाज्मा थेरेपी को कोविड -19 के प्रभावी उपचार के रूप में देखा जाना चाहिए।

सीएम का कहना है कि आईएलबीएस और एलएनजेपी अस्पताल में स्थापित प्लाज्मा बैंक में सभी ब्लड ग्रुप का प्लाज्मा उपलब्ध है। यहां तक कि ‘एबी’ ब्लड ग्रुप का प्लाज्मा मिलने में दिक्कत होती है, लेकिन प्लाज्मा बैंक के स्टाॅक में ‘एबी’ ब्लड ग्रुप का प्लाज्मा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और डाॅक्टर की सलाह पर अब तक ‘एबी’ ग्रुप के 90 मरीजों को प्लाज्मा दिया जा चुका है।

दोनों प्लाज्मा बैंक के स्टाॅक से ‘ए’ ब्लड ग्रुप के 171, ‘ओ’ ग्रुप के 180 और ‘बी’ ब्लड ग्रुप के 269 मरीजों को प्लाज्मा दिया जा चुका है और उनकी जान बचाई जा सकी है।

प्लाज्मा बैंक से अब तक 60 साल से कम उम्र के 388 मरीजों को उच्च गुणवत्ता का प्लाज्मा उपलब्ध कराया जा चुका है और 60 साल से उपर के उम्र के 322 मरीजों को प्लाज्मा दिया जा चुका है, जो कोरोना से गंभीर रूप से बीमार होने के कारण खतरे में थे। इसमें सबसे कम उम्र के 18 वर्षीय युवक को उच्च गुणवत्ता का प्लाज्मा दिया गया है, जबकि सबसे अधिक उम्र के 94 वर्षीय एक बुजुर्ग को प्लाज्मा दिया गया है।

अब तक दोनों प्लाज्मा बैंकों के स्टाॅक से कोरोना से पीड़ित 522 पुरुष और 188 महिलाएं लाभांवित हुए हैं।

कोविड-19 से ठीक हो चुके विभिन्न वर्गों के लोगों ने आगे बढ़ कर गंभीर मरीजों को स्वस्थ्य करने में मददगार साबित हो रहे प्लाज्मा को दान किया है। इसमें विभिन्न व्यवसायों, जैसे- पुलिस अधिकारियों, डॉक्टरों, नर्सों, सेना के अधिकारियों और होम आइसोलेशन में ठीक हो चुके मरीजों ने आईएलबीएस अस्पताल आकर अपना प्लाज्मा दान किया है।

कोविड-19 से ठीक हो चुके अब तक 921 लोगों ने आईएलबीएस प्लाज्मा बैंक में आकर प्लाज्मा दान किया है, जिसमें 86 स्वास्थ्यकर्मी, 209 उद्यमी, 8 मीडियाकर्मी, 28 पुलिस अधिकारी, 50 छात्र, 32 सरकारी अधिकारी और नौकरी पेशा, सेल्फ इम्प्लाइड प्रोफेशनल्स, गैर निवासियों समेत 508 अन्य लोग शामिल हैं। वहीं, कोविड-19 से ठीक हो चुके करीब 14 लोगों ने एक से अधिक बार प्लाज्मा दान किया है।