मुंबई में 2008 में हुए वीभत्स 26/11 के आतंकी हमलों में मारे गए आम लोगों और दूसरों को बचाने में शहादत देने वाले शख्सियतों को याद करने के मकसद से 26/11 Stories of Strength event कार्यक्रम का मंगलवार का आयोजन हुआ। द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत कई बड़ी हस्तियां मौजूद थीं। गडकरी ने जान देकर दूसरों की हिफाजत करने वाले शहीदों को याद किया और इस बात पर जोर दिया कि सज्जनों की रक्षा करने के लिए ताकतवर होना जरूरी है। गडकरी के मुताबिक, यदि कोई हमारी ओर टेढ़ी आंख से देखता है तो उसको जवाब देने की शक्ति होनी चाहिए, नहीं तो सज्‍जन जिंदा नहीं रहेंगे। कार्यक्रम में नितिन गडकरी का दिया पूरा भाषण नीचे पढ़ें या वीड‍ियो देखें:

हमारे देश के रक्षा मंत्री आदरणीय राजनाथ सिंह जी, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनंत जी, उपस्थित सभी मान्यवर और उपस्थित भाइयों और बहनों। आज यहां बैठते हुए मैं उस 26/11 के दिन को याद कर रहा था। उस दिन मैं मुंबई में ही था और जो कुछ देख रहा था, जो समझ रहा था, वो एक प्रकार से पूरी तरह से..बहुत ही डिस्टर्ब मनो:स्थिति में हम सब थे।

घटना भी इतनी बड़ी थी कि आतंकवादियों ने जिस प्रकार से निरपराध व्यक्तियों की हत्या की और काफी बड़ा रोष भी जनता के मन में निर्माण हुआ। पर ये सब घटना को जब देख रहे थे तो एक बात….मैं सलाम करूंगा मुंबई की जनता को कि इतने कठिन परिस्थिति में भी किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए, इसका आदर्श उदाहरण उस समय मुंबई की जनता ने प्रस्तुत किया था।

बहनो और भाइयो, आतंकवाद…इसकी कोई न जाति होती है, न कोई पंथ होता है और न कोई धर्म होता है। आतंकवादी आतंकवादी होता है। हमारे देश की इतिहास, संस्कृति और विरासत इस बात को सिद्ध करती है कि आज तक के इतिहास में…हमारे देश में राजा भी थे, सत्ता भी अलग-अलग प्रकार की आई है पर हमने किसी धर्म के मंदिर को ध्वस्त करने का काम किसी राजा ने नहीं किया। निरपराध व्यक्तियों पर कभी आघात नहीं किया।

हमारे देवत्व के रूप, छत्रपति शिवाजी महाराज, जिनको हम मानते हैं, उन्होंने यही संदेश दिया कि कोई भी लड़ाई होगी तो हमारी जो मां बहनेंं हैं, इनके ऊपर कोई आघात नहीं होना चाहिए, कोई अत्याचार नहीं होना चाहिए, उनका सम्मान होना चाहिए।

शिवाजी महाराज ने अपने आदर्श के साथ हमको वही सीख दी है और इसलिए हम उन्ही के मार्गों पर अनुकरण करके आगे जाते हैं। इसलिए स्वभाविक रूप से हमारी संस्कृति, हमारा इतिहास, हमारी विरासत और जो संस्कार हमको मिले हैं, उससे जो भारतीय मन बना हुआ है, वो आज भी एक अलग प्रकार का उदाहरण हमने पूरी दुनिया में प्रस्तुत किया है।

इंडियन एक्सप्रेस के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयनका की पूरी स्पीच नीचे वीडियो में सुनें, कार्यक्रम के फोटोज यहांं देेेखेें 

मैं याद करता हूं स्वामी विवेकानंद जी ने जब अमेरिका में शिकागो में एक भाषण दिया था, जो भाषण सबसे लोकप्रिय हुआ था, इसमें उन्होंने कहा था कि मैं यहां इसलिए नहीं आया हूं कि मेरा धर्म श्रेष्ठ है, मेरा भगवान श्रेष्ठ है या मैं जिस मार्ग से जा रहा हूं, वो मार्ग श्रेष्ठ है।

मैं यह कहने के लिए आया हूं कि आपकी श्रद्धा जहां-जहां है, वो भगवान, वो धर्म श्रेष्ठ है। और अंतिम तक हम जो भी भक्ति करेंगे वो सभी भगवान एक ही है और उसी के पास पहुंचेगी। और इसलिए हम स्वामी विवेकानंद जी को याद करते हैं। और संस्कृत में एक सुभाषित है-आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम् । सर्वदेहनमस्कारः केशवं प्रतिगच्छति।

एक मराठी कवि ने इसका सुंदर अनुवाद किया है और जो हमारी भारतीय संस्कृति की दिशा बताने वाला है।…आपकी श्रद्धा जहां भी होगी हम भी वहां वंदन करते हैं, अंतिम में वो भगवान एक ही है।

और विश्व का कल्याण हो, यही मानवता का, ह्यूमैनिटी का संदेश हमारी संस्कृति ने पूरी दुनिया को दिया है। पर एक बात जरूर है कि मेरे बचपन में मैंने महारथी कर्ण के ऊपर शिवाजी सावंत जी का उपन्यास मृत्यंजय…बहुत सुंदर उपन्यास है। और जब मैं स्कूल में पढ़ता था तब मुझे अवॉर्ड मिला तो उसके लिए एक कूपन मिला कि आप बुक डिपो में जाकर कोई भी किताब खरीद सकते हो। तो मैं वो किताब लेकर मैं जब…मैंने जब वो किताब खरीदा तो बहुत बार पढ़ा हूं, बहुत सुंदर है और उसका अनेक भाषा में अनुवाद हुआ है।

शिवाजी सावंत तो नहीं हैं, पर उसमें कर्ण के जीवन पर लिखते समय उन्होंने कहा था कि सामर्थ्यवान और शक्तिशाली व्यक्ति ही समाज में शांतता और अहिंसा प्रस्थापित कर सकता है। और दुर्बल व्यक्ति ने सत्य अहिंसा पर कितना भी भाषण दिया, कभी शांतता प्रस्थापित नहीं हो सकती।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पूरी स्पीच नीचे वीडियो में सुनें, कार्यक्रम की तस्‍वीरें यहां देखें 

मैं यह भी मानता हूं कि हमें शक्तिशाली बनना चाहिए। शक्तिशाली इसलिए नहीं बनना चाहिए कि हमें किसी के ऊपर अन्याय करना है। हम विस्तारवादी नहीं हैं। आज तक हमारे देश ने हमारे आजू-बाजू के छोटे-छोटे राष्ट्रों की कोई जमीन हमारे देश ने जोड़ने की कोशिश नहीं की है। और इसलिए हम उदारवादी हैं, सहिष्णु हैं, सर्वसमावेषक हैं और सेक्युलर शब्द का जो सही अर्थ वो सर्मधर्म समाभाव और पंथ निरपेक्षता डिक्शरी में है, धर्म निरपेक्षता नहीं है।

इसलिए सर्व धर्म समाभाव और पंथ निरपेक्षता यही है कि हम सभी धर्मों का आदर करें। सब पूजा पद्धति का आदर करें। पर समाज में उसी समय अगर शांति, सत्य और अहिंसा अगर प्रस्थापित करनी होगी तो यह हमारा मिशन है, कर्तव्य है। पर यह कहने के लिए हमको ताकतवर भी बनना चाहिए।

…और इसलिए दोनों बातों में यही हमारी संस्कृति की विचारधारा रही जो छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर महात्मा गांधी तक हमने उसी विचारों का अनुकरण किया है। और इसलिए आज मैं याद कर रहा था, आज हमारे देश के डिफेंस मिनिस्टर यहां उपस्थित हैं। और मुझे बहुत खुशी होती है कि जब कोई हमारे ऊपर अटैक करता है, हम नहीं अटैक करते हैं, हम विस्तारवादी नहीं हैं।

हम सभी धर्म-संस्कृति का आदर करते हैं और विश्व का कल्याण हो, यही भाव जताते हैं। पर गलती से कोई अगर टेढ़ी आंख से देखता है तो उसका जवाब देने की ताकत सज्जन शक्ति में होनी चाहिए नहीं तो सज्जन जिंदा नहीं रहेंगे। और इसलिए भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने यही बात कही है कि जब अधर्म बढ़ता है, दुराचार बढ़ता है, दुर्जन ताकतवान होते हैं तब धर्म की स्थापना करने के लिए मैं जन्म लेता हूं। यही भगवान श्रीकृष्ण जी ने गीता के सारे के रूप में हमें बताया है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पूरी स्पीच नीचे वीडियो में सुनें, कार्यक्रम की तस्‍वीरें यहां देखें 

बीता हुआ इतिहास इतिहास है। वो भूतकाल है, पर इतिहास जो लिखा जाता है वो गुलाबपानी के सुगंध से नहीं लिखा जाता। इतिहास बलिदान से लिखा जाता है, खून से लिखा जाता है और वो बलिदान का इतिहास हमको भविष्य के लिए प्रेरणा देता है। आज हेमंत करकरे जी की बेटी जब बोल रही थीं, तो मैं हेमंत करकरे जी को उनके विद्यार्थी जीवन से जानता हूं, वह नागपुर के ही थे। पर मुझे देखते हुए वह फिर से याद आ रहे थे। एक कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति के रूप में उन्होंने अपने जीवन को किस प्रकार से समर्पित किया, उसका बलिदान किया। ये बलिदान व्यर्थ नहीं होना चाहिए।

ये ऐसे अनेक शहीद जो हुए हैं, देश की एकता के लिए, देश की अखंडता के लिए, उनको कभी नहीं भूलना चाहिए। और जो निरपराध लोग जिनकी एक प्रकार से इसमें बलि गई है, उनको को हमने नहीं भूलना चाहिए। मैं इंडियन एक्सप्रेस को विशेष रूप से धन्यवाद दूंगा कि हमारा भूतकाल का इतिहास लोग बहुत जल्द भूल जाते हैं।

मृत्युंजय में ही शिवाजी सावंत ने दूसरी बात कही थी जो मुझे याद आ रही है। उन्होंने अच्छी भाषा में कहा था कि विस्मृति, भूल जाना, यह भगवान ने मानव को दी हुई सबसे बड़ी देन है। बाकी बातों को भूल जाना चाहिए और जरूरी भी है कि कभी कभी ऐसी बातें होती हैं जिसे भूलना आवश्यक होता है। पर ऐसा इतिहास नहीं भूलना चाहिए जो इतिहास बलिदान का है, जो देशभक्ति का है। और इसलिए मैं यह मानता हूं कि यह इतिहास फिर से नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इसलिए आवश्यक है कि इस इतिहास से प्रेरणा लेकर भविष्य का सुखी, समृद्ध, संपन्न, शक्तिशाली इतिहास, संस्कृति और विरासत के आधार पर एक शक्तिशाली भारत का निर्माण करना यह हमारा एक संकल्प है। और यह शक्ति हमें इसलिए नहीं चाहिए कि हमें कोई विस्तारवाद करना है, हमें आक्रमण करना है, किसी निरपराध पर अन्याय करना है। यह शक्ति हमें चाहिए सज्जनों की रक्षा करने के लिए, यह शक्ति हमें चाहिए दुर्बलों की रक्षा करने के लिए। यह शक्ति हमें चाहिए दुर्जनों का संहार करने के लिए ताकि सज्जन लोग सुखी और सत्य के मार्ग पर रह सकेंगे।

और यही इतिहास अनेक सालों से…, क्योंकि यह ताज होटल उस दिन जो कुछ हुआ, मैं तो इसका साक्षी हूं। सुबह मैं महाराष्ट्र में ही था। वो बातों को मैं कभी भूल नहीं सकता। जिस प्रकार से शौर्य का परिचय हमारे पुलिस अधिकारियों ने दिया, वो सब हमने देखा है। और इसलिए वो इतिहास हमारे भविष्य की प्रेरणा है। राष्ट्र के पुनर्निमाण के लिए हमारा वो भविष्य का विचार है, वो सबके मन-मन में जो जगाने की कोशिश की है, उसके लिए मैं इंडियन एक्सप्रेस को हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा। और जब विवेक जी (इंड‍ियन एक्‍सप्रेस समूह के चेयरमैन) ने मुझे इस कार्यक्रम में आने के बारे में बताया तो मुझे बहुत अच्छा लगा कि फिर से एक बार मुंबई जाकर पुरानी बातों को याद करके, उन सब जिन्होंने बलिदान किया, उन सभी को, और जो इसमें निरपराध लोग मारे गए, उन सभी को श्रद्धांजलि देने का अवसर मुझे मिलेगा।

उन्होंने यह (अवसर) मुझे दिया, इसके लिए मैं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं। और हम सब लोग, हमारे देश को सुखी, संपन्न, शक्तिशाली बनाएंगे। भय, भूख, आतंक और भ्रष्टाचार से मुक्त करेंगे और इतिहास, विरासत, संस्कृति के आधार पर दुनिया का, विश्व का कल्याण हो, इस मानवता का, ह्यूमैनिटी का संदेश भी हमारी विचारधारा देगी। और हम सब लोग उस दिशा में आगे जाएंगे और इस देश को शक्तिशाली बनाते हुए अहिंसा के मार्ग पर, महात्मा जी के बताए गए मार्ग पर जाएंगे, यही संकल्प करने का आज का यह दिन है।

मैं फिर से एक बार सब शहीदों को और जो निरपराध व्यक्तियों की जो हत्या हुई है, उनकी आत्मा को शांति मिले, यही प्रार्थना करता हूं, बहुत बहुत धन्यवाद, नमस्कार।

कार्यक्रम का पूरा वीडियो नीचे देखें और तस्‍वीरें यहां देखें