International Yoga Day 2019 Date, Theme, Events, Venue: जैसा कि हम जानते हैं कि हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। भारत समेत करीब 177 देशों में योगा डे सेलिब्रेट किया जाता है। हाल ही में देश के अंदर बहुत से हिंसक मामले देखने को मिले हैं। कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद बहुत से लोगों ने अपनी जान गवां दी। ऐसे में योग के जरिए देश में शांति का संदेश फैलाना बेहद जरूरी हो गया है। इस साल पांचवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। साथ ही इस बार के योगा डे का मुख्य उद्देश्य योग के महत्व को दुनिया भर में पहुंचाना है।
हर साल योग दिवस के मौके पर थीम रखी जाती है जिसके जरिए अधिकांश लोगों तक इसके महत्व के बारे में संदेश भेजा जाता है। पिछले साल का थीम ‘योग फॉर हेल्थ’ था। लेकिन इस साल की थीम या स्लोगन स्वास्थ्य है। इस बार की थीम ‘योग फॉर हार्ट’ है। यह कदम उठाना बेहद सराहनीय है और लोगों की बीच बेहतर स्वास्थ्य के लिए जागरूकता बढ़ाना है। इस स्टेप के कारण लोग ना सिर्फ अपने हृदय बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं पर नजर डाल पाएंगें।
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योगा डे को सेलिब्रेट करने के लिए लोग काफी उत्सुक रहते हैं। इस दिन के माध्यम से लोगों तक योग के महत्व के बारे में संदेश पहुंचाया जाता है। इस दिन बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में लोग अलग-अलग तरीके से योगा डे को सेलिब्रेट करते हैं। इसके अलावा लोग सड़कों पर इसके प्रचार के लिए निकलते हैं। आमतौर पर योगा मानसिक और शारीरिक लाभ पहुंचाता है। साथ ही फिट और हेल्दी रखने में भी मदद करता है। यदि आप रोजाना योग करेंगे तो आपको कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलेगा। योग आपको दिमाग की शांति प्रदान करता है और आपको ऊर्जा भी प्रदान करता है।
योगा मूड बेहतर करने में मदद करता है और डिप्रेशन, तनाव और चिंता जैसी समस्या को कम करता है।
योगा का नियमित अभ्यास करने से आपकी मांसपेशियां टोन्ड हो जाती है।
योगा आपको जीवन जीने की सही प्रेरणा देता है जिससे आपको खुशी मिलती है।
योगा होता है बेहद खास और फायदेमंद। आप भी इसे अपनी रूटीन में जरूर शामिल करें।
कई ऐसे दिग्गज योग गुरू हैं जो आपको योगा करने का सही तरीका बता सकते हैं।
सूर्य नमस्कार 12 तरीके के होते हैं और यह आपके लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
तड़ासन की तरह वृक्षासन भी आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक आसन है। यह उन लोगों के लिए मन को शांति प्रदान करता है, जो निराशा और चिंता की समस्या का सामना कर रहे हैं। यह आपके कूल्हों के लिए अच्छा है क्योंकि यह उसे खोलने में मदद करता है। यह संतुलन में सुधार करते समय यह रीढ़ को मजबूत करता है।
हृदय रोगियों के लिए तड़ासन बहुत ही फायदेमंद है। दिल के रोगियों को इस आसन को नियमित रूप से करना चाहिए। यह न केवल आपके पोस्चर में सुधार करता है बल्कि जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत करता है। यह जागरूकता को बढ़ाता है तथा इससे पैर और कूल्हों में ताकत, शक्ति और गतिशीलता बढ़ जाती है। यह हृदय को ताकत देने का काम करता है।
रोजाना योगा आपको कई रोगों से दूर रखता है। इसलिए जरूर अपने रूटीन में इसे शामिल करें।
अष्टांग योग कई अन्य लाभ भी हैं। जैसे यह हमें खुश रखता है, स्वस्थ रखता है। साथ ही यह हमारे दिल और दिमाग को खोलता है और बुद्धि को तेज करता है। यह आत्मविश्वास को बनाए रखता है। जिससे हम शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ्य रहते हैं।
अष्टांग योग मानसिक तनाव को कम करने के लिए बहुत ही अच्छा आसन है। यह हमारे दिमाग को तेज करता है और किसी भी चीज को जल्दी समझने में मदद करता हैं। अष्टांग योग उन लोगों के लिए बहुत ही अच्छा है जो लोग मस्तिष्क की किसी समस्या से परेशान हैं। साथ ही यह यह सिर दर्द और पीठ के निचले हिस्से के दर्द को ठीक करता है।
भावनात्मक लाभ से मतलब है किसी की भावनाओं को नियंत्रित और संतुलित करना। ऐसा माना जाता है कि अधिकांश पीड़ा भावनाओं के कारण होती हैं। जैसे एक दिल की धड़कन और उदास भावनाएं मानसिक बीमारी का कारण बन सकती है। यह आपके शरीर को बहुत प्रभावित कर सकती है। साथ ही यह इमोशन और फीलिंग के बीच संतुलन बनती है।
योगा के सारे आसन आपको हेल्दी रखने में मदद करते हैं। इनको करने का सही तरीका जरूर जानें।
योग की इस शैली का अभ्यास करके आप शरीर को टोन, मजबूत और नियंत्रित कर सकते सकते हैं। वजन को कम करने के लिए अष्टांग योग एक बहुत ही लाभदायक है। साथ ही यह शरीर को लचीला बनाता है और हमारी सहनशक्ति को भी बढ़ाता है।
अष्टांग योग हमारी शारीरक शक्ति को बढ़ने और मांसपेशियों की ट्रेनिंग के लिए एक अच्छा योग हैं। अष्टांग योग दिमाग को शांत रखता हैं इसके साथ यह आत्मा को भी शांतिपूर्ण रखता है।
अर्थ- ध्यान की उच्च अवस्था को समाधि कहते हैं। समाधि में व्यक्ति अपनी आत्मा से जुड़ता हैं। अपनी आत्मा से जुड़ना ब्राह्मण को समझना (शुद्ध चेतना) या भगवान का अहसास मानव जन्म की अंतिम उपलब्धि है।
अर्थ- वस्तु पर एकाग्रता, अपने मन को वश में करना। एक वस्तु और उसके क्षेत्र पर दिमाग की एकाग्रता।
अर्थ- संवेदना वापस लेना या आशा, वचन आदि वापस लेना। दिमाग की शक्ति को बढ़ाने के लिए एक मानसिक तैयारी।
अर्थ- योगी श्वास। श्वास-लेने सम्बन्धी खास तकनीकों द्वारा शरीर की शुद्धि। सांस का विस्तार और नियंत्रण करना।
एक स्थिर और आरामदायक मुद्रा जो मानसिक संतुलन प्राप्त करने में मदद करती है।
शौच- शरीर और मन की शुद्धता।
संतोष- संतुष्टि और प्रसन्न रहना ।
तप- सहनशक्ति, स्वयं से अनुशाषित बने रहना।
स्वाध्याय- स्वयं का अध्ययन करना।
ईश्वर प्रणिधान- भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा रखना।
अहिंसा- अहिंसा का एक सिद्धांत, शब्दों, विचारों और कर्मों से किसी को बिना कारण के हानि नहीं पहुंचाना।
सत्य- सत्यता का एक सिद्धांत, जैसे विचार मन में है वैसी ही वाणी से बोलना ।
अस्तेय- किसी अन्य व्यक्ति की चोरी न करने का सिद्धांत।
ब्रह्मचर्य- योग में ब्रह्मचर्य का अर्थ अधिकतर यौन संयम समझा जाता है।
8 अंग नाम संस्कृत शब्द अष्टांग से आता है और योग के आठ अंगों को दर्शाता है। यम (हमारे पर्यावरण की ओर रुख), नियम (खुद के प्रति दृष्टिकोण), आसान (भौतिक मुद्रा), प्राणायाम (सांस का संयम या विस्तार), प्रतिहार (इंद्रियों को वापस लेना), धारण (एकाग्रता), ध्यान (ध्यान) और समाधि (पूर्ण एकीकरण)।
अष्टांग योग महर्षि पतंजलि के योग दर्शन पर आधारित है। सभी योग आसन और प्राणायाम पतंजलि के योग सूत्रों पर आधारित हैं। पतंजलि के योग सूत्रों में पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए आठ अंग की आवश्यकताएं होती हैं। हम इनका क्रम में अभ्यास नहीं कर रहे हैं, लेकिन सभी एक साथ विकसित हुए हैं।