आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव 1 मई को तीन साल बाद जमानत पर जेल से रिहा हुए। चारा घोटाले मामले में तमाम कानूनी दांव पेंच के बाद लालू प्रसाद जेल से बाहर आए। लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक यात्रा बेहद ही दिलचस्प रही है। जेपी आंदोलन से उन्होंने एक छात्र नेता के तौर पर अपनी शुरुआत की और मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री तक बने। लालू यादव अपने ठेठ देसी अंदाज के लिए भी खूब मशहूर हुए। जब देश में आपातकाल की स्थिति थी तब वो पुलिस के राडार पर आ गए थे। जब पुलिस उन्हें पकड़ने उनके ससुराल पहुंची तो उन्होंने हाई वोल्टेज ड्रामा किया था जो लोगों को आज तक याद है।
दरअसल लालू प्रसाद जेपी आंदोलन से जुड़े हुए थे और आपातकाल के दौरान पुलिस अन्य नेताओं की तरह उन पर भी नजर बनाए हुए थी। इसके बाद पुलिस से बचने के लिए लालू अंडरग्राउंड हो गए। लेकिन उन्हें ढूंढते हुए पुलिस राबड़ी देवी के घर यानि उनके ससुराल पहुंच गई जहां वो अंडरग्राउंड थे। जब पुलिस उन्हें पकड़ने लगी तो लालू पुलिस की ही जीप पर चढ़ गए और तब शुरू हुआ उनका हाई वोल्टेज ड्रामा।
उन्होंने पुलिस के सामने अपना कुर्ता फाड़ा और जोर- जोर से चिल्लाने लगे। लोगों ने देखा कि उनके पूरे बदन पर पुलिस की लाठियों के निशान थे। लालू प्रसाद यादव ने आपातकाल के दौरान तत्कालीन सरकार की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध काम किया और वो जेल भी गए।
जब देश में स्थितियां सामान्य हुई तब 1977 में लोकसभा चुनाव करवाए गए। इस चुनाव में 29 साल के लालू प्रसाद यादव बिहार के छपरा से चुनाव लड़े और जीते भी। उस वक्त लालू यादव भारत के सबसे युवा सांसद थे जो इतनी कम उम्र में लोकसभा पहुंचे थे।
जेपी आंदोलन के दिनों में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लालू प्रसाद के गहरे दोस्त हुआ करते थे। शरद यादव और रामविलास पासवान से भी उनकी अच्छी दोस्ती थी। इन सभी दोस्तों ने मिलकर साल 1988 में जनता दल का गठन किया। लेकिन बाद में कुछ मतभेदों के कारण लालू प्रसाद यादव ने पार्टी से किनारा कर लिया और 1997 में अपनी खुद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया था।