अभी तक किए गए शोधों के अनुसार कम समय के लिए गर्भवती महिला द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल से गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को कोई गंभीर खतरा नहीं होता। लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल कितना सुरक्षित है इस बारे में निश्चित तौर पर कह पाना काफी मुश्किल है। वहीं कई अध्ययनों यह बात सामने आई है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल और व्यवहार सबंधी समस्याओं के बीच कोई न कोई संबध है।
शोधकारों का कहना है कि हमारा अध्ययन ऐसी किसी भी धारणा का समर्थन नही करता जिसके मुताबिक प्रेग्नेंसी में फोन के इस्तेमाल से बच्चे की भाषा, संचार या फिर वाहन कौशल पर विपरीत असर पड़ता हो। इसके उलट शोध में ऐसा पहली बार दावा किया गया है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान फोन का इस्तेमाल करती हैं उनके बच्चों में भाषा संबंधी जटिलता के खतरे काफी कम हो जाते हैं।
भ्रूण पर पड़ता है प्रभाव: क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ एन एस कनिमोझी के मुताबिक मोबाइल फोन, कंप्यूटर और वायरलेस राउटर से निकलने वाले विकिरण का भ्रूण पर प्रभाव पड़ने की संभावना होती है। चूंकि विकिरण एक प्रकार की ही ऊर्जा है और इसका स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। हालांकि, यदि आप गर्भवती हैं, तो किसी भी प्रकार का एक्स-रे या अन्य परीक्षण जो विकिरण का उपयोग करते हैं, जैसे कंप्यूटेड टोमोग्राफी (जिसे सीटी या कैट स्कैन भी कहा जाता है), जबकि वे गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित हैं।
याददाश्त कम होने का खतरा: डॉक्टर कनिमोझी के मुताबिक गर्भवती महिलाओं में विकिरण के संपर्क में वृद्धि से मस्तिष्क की गतिविधि पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिससे थकान, चिंता और नींद में रुकावट पैदा होती है। इसके अलावा कई शोध में यह बात सामने आई है कि याददाश्त भी कम हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान हानिकारक रेडियो वेव्स के लगातार और बढ़े हुए संपर्क से मानव शरीर के रिसेप्टर्स में हस्तक्षेप हो सकता है और कैंसर का खतरा बन सकता है।
बच्चों के शारीरिक और मानसिक एक्टिविटी पर प्रभाव: पूर्व में एपीडेमियोलॉजी एंड कम्युनिटी हेल्थ नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में यह दावा किया गया था कि जिन बच्चों की मां गर्भावस्था के दौरान फोन का इस्तेमाल करती थीं उनके व्यवहार में समस्या होने की संभावना 50 प्रतिशत तक थी। ऐसा कहा गया कि प्रेग्नेंसी में फोन का इस्तेमाल करने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक एक्टिविटी में काफी कमी देखी गई है।