रणनीतिकार प्रशांत किशोर साल 2014 के आम चुनाव के बाद चर्चा में आए थे। इन चुनावों में प्रशांत ने बीजेपी के लिए चुनाव की रणनीति तैयार की थी। बीजेपी को मिली शानदार जीत के बाद प्रशांत किशोर ने बिहार का रुख किया था। 2015 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में विपक्षी दलों के कई बड़े नेता शामिल हुए थे।
शपथ ग्रहण समारोह में ही प्रशांत किशोर की मुलाकात ममता बनर्जी से पहली बार हुई थी। प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में इसका जिक्र किया था। उन्होंने बताया था, ममता दीदी से मेरी मुलाकात यहीं हुई थी। कई दिनों तक मेरी बातचीत चलती रही। उन्होंने मुझे पश्चिम बंगाल बुलाया भी था और मैं यहां आया भी था। 2016 के चुनाव में उन्होंने मुझे साथ काम करने का ऑफर दिया था। लेकिन उस समय उन्हें और मुझे लगा कि ऐसी अभी कोई जरूरत नहीं है।
कर दिया था इंकार: प्रशांत किशोर ने बताया था, ‘मेरे लड़के यहां रहे भी थे। हम लोगों ने कह दिया था कि आप चुनाव जीत रहे हैं तो मैंने मना भी कर दिया था।’ पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने उनसे पूछा था, ‘चुनाव में सहयोग की दृष्टि से आपकी बातचीत कब शुरू हुई थी? 2019 चुनाव के नतीजे आने के बाद?’
इसके जवाब में प्रशांत किशोर कहते हैं, ‘मेरी ममता दीदी से बातचीत हमेशा से रही है। चुनाव के नतीजों के 2-3 हफ्ते बाद हम लोग मिले थे। मैंने कहा कि ठीक है फिर जो भी होगा तो करेंगे।’
बात दें, साल 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए रणनीति तैयार की थी। इन चुनावों में टीएमसी ने 215 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि पहले बीजेपी दावा कर रही थी कि इन चुनावों में उसे पूर्ण बहुमत मिलेगा।
प्रशांत किशोर ने चुनाव से पहले ही कह दिया था कि अगर बीजेपी सरकार डबल डिजिट क्रॉस करती है तो वो ये स्पेस (ट्विटर) छोड़ देंगे। इसको लेकर उन्होंने कहा था, ‘चुनाव से पहले अनुमान लगाना मुश्किल होता है, लेकिन हमने जमीन पर काम किया है इसलिए हम बता सकते हैं।
