उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी समाजवादी पार्टी ने कर दी है। अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि इस चुनाव में उनकी पार्टी छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। क्योंकि पिछले चुनाव में वह कांग्रेस के साथ मिलकर मैदान में उतरे थे, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हो पाया था। इससे पहले लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार भी अचानक मुलायम सिंह यादव के घर पहुंच गए थे और साथ चुनाव लड़ना चाहते थे।

टीवी शो ‘आप की अदालत’ में दिवंगत राजनेता अमर सिंह ने इससे जुड़ा किस्सा साझा किया था। उन्होंने बताया था, ‘मुलायम सिंह यादव के घर पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव जाते रहे हैं। ये तय हुआ कि मुलायम जी के साइकिल निशान पर यूपी और बिहार का चुनाव मिलकर लड़ा जाएगा। सब कुछ तय हो गया था, लेकिन राम गोपाल यादव ने सब खत्म करवा दिया। इतना बड़ा गठबंधन बनने जा रहा था, लेकिन एक गलती से सबकुछ जीरो हो गया। इसी का नतीजा है कि आज मुलायम सिंह यादव अकेले हैं।’

अमर सिंह ने कहा था, ‘इतना गठबंधन बन रहा था। सबसे खास बात है कि इसके नेता मुलायम सिंह यादव ही घोषित होने थे। लालू यादव और नीतीश कुमार कभी साथ नहीं आते अगर मुलायम सिंह बीच में न होते। दोनों को एक करवाने का काम सारा मुलायम सिंह यादव ने ही किया था। लालू यादव ने बात इसलिए आराम से मान ली क्योंकि उनकी बेटी मुलायम सिंह जी के घर पर आई हैं। दोनों आपस में वैसे ही रिश्तेदार हैं। अगर ऐसा हो जाता तो मुलायम सिंह कितने बड़े नेता बन जाते।’

पीएम नहीं बन पाए थे मुलायम: भले ही बाद में लालू और मुलायम सिंह यादव के रिश्ते ठीक हो गए हों, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब दोनों एक-दूसरे के धुर विरोधी हुआ करते थे। मुलायम के छोटे भाई अभय राम यादव ने एक अन्य इंटरव्यू में बताया था, ‘मुलायम प्रधानमंत्री बन ही गए थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव के कारण ये संभव नहीं हो पाया। रात में सब चीजें तय हो गई थीं और अगले दिन तो इन्हें शपथ लेनी थी। पहले लालू ने विरोध किया और बाद में शरद यादव और राम विलास पासवान ने भी इनका विरोध कर दिया।’

बता दें, मुलायम सिंह यादव साल 1996 में देश के रक्षा मंत्री बने थे, लेकिन इससे पहले सियासी गलियारों में चर्चा थी कि मुलायम का नाम पीएम पद के लिए तय हो गया था। ऐन मौके पर कुछ नेताओं के विरोध के कारण वह देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे।