बिहार की सियासत में एक नया मोड़ आया था जब 25 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। राबड़ी देवी के सीएम बनने का विपक्षी नेताओं ने जमकर विरोध किया था। उस समय विपक्ष के नेता की भूमिका में सुशील कुमार मोदी थे। वह अक्सर राबड़ी की शिक्षा और राजनीति में कम अनुभव को निशाना बनाते थे, लेकिन एक बार राबड़ी देवी के जवाब से पूरी विधानसभा दंग रह गई थी।
मुख्यमंत्री बनने के बाद राबड़ी देवी का पहला संबोधन 1 मिनट से भी काम का था। गुलाबी साड़ी में राबड़ी देवी विधानसभा पहुंचती हैं तो विपक्ष के नेता सुशील मोदी एक के बाद एक कई आरोप लगाने शुरू कर देते हैं। सुशील मोदी का भाषण लालू यादव के घोटालों पर केंद्रित था। सुशील मोदी तंज भरे अंदाज में राबड़ी देवी को सीएम बनाने का मुद्दा भरी विधानसभा में उठा देते हैं।
विधानसभा में दिया था राबड़ी ने जवाब: राबड़ी देवी का ये राजनीति में पहला अनुभव था, लेकिन उनके द्वारा दिए गए जवाब का किसी को भी अंदाजा नहीं था। ‘न्यूज़24’ के मुताबिक, राबड़ी खड़ी होती हैं और कहती हैं- चाहे आप कोई भी आरोप लगाते रहें, मैंने आपको हमेशा अपना छोटा भाई ही माना है। सुशील मोदी इसके बाद कुछ कहने लायक नहीं रहते हैं और पूरी विधानसभा इस जवाब से दंग रह जाती है। क्योंकि राबड़ी की पहचान अबतक घरेली महिला की थी, लेकिन उनके इस जवाब ने साफ कर दिया था कि वह सियासी जवाब देने में भी कम नहीं हैं।
दूसरा मौका आया जब सुशील मोदी ने विधानसभा में कहा, ‘चोर (लालू यादव) को घर से निकालो’। राबड़ी इस पर भी चुप नहीं बैठीं और कहा- ‘मैं चोर को आपके घर भेज दूंगी।’ सदन में मौजूद सदस्य जोर से हंसने लगे। सुशील मोदी ने इसका जवाब देते हुए कहा था, ‘मेरा घर तो बहुत छोटा है, कोयला मंत्री कांति सिंह का घर बहुत बड़ा है। आप वहां भेज दीजिए।’ राबड़ी ने सदन के बाहर आकर कहा, ‘मैं अपने पति के इशारों पर बिल्कुल काम नहीं करूंगी।’
लालू ने बनाया था सीएम: चारा घोटाले के आरोप में सीबीआई का शिकंजा कसता देख लालू प्रसाद यादव ने कुर्सी छोड़ने का फैसला किया था। लेकिन उनके सामने कुर्सी का सही उम्मीदवार ढूंढना भी चुनौती थी। लालू को कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी ने सलाह दी कि वह राबड़ी देवी को सीएम बना सकते हैं। लालू ने एक इंटरव्यू में बताया था कि इसके बाद उन्होंने राबड़ी के नाम पर चर्चा के लिए सीएम आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई।
राबड़ी के नाम प्रस्ताव रखा गया। इस दौरान खुद राबड़ी को भी कुछ जानकारी नहीं थी और वह रसोई में बच्चों के लिए खाना बना रही थीं। लालू को ये अच्छे से पता था कि आरजेडी के कुछ नेताओं के मन में सीएम बनने की इच्छा है, लेकिन सबने राबड़ी के नाम पर अपना समर्थन दे दिया। इस तरह राबड़ी बिहार की अगली मुख्यमंत्री बन गई थीं।