खूनी बवासीर एक ऐसी परेशानी है जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। पाइल्स एक ऐसी समस्या है जिसे लोग बताने में हिचकिचाते हैं। इस बीमारी की वजह से मरीज का उठना बैठना मुश्किल हो जाता है। बवासीर दो तरह की होती है खूनी बवासीर और दूसरी बादी वाली बवासीर। इस बीमारी की वजह से मरीज में कमजोरी होना आम बात है। खूनी बवासीर शरीर को बेहद कमजोर बना देती है। इस बीमारी की वजह से काफी खून स्टूल के साथ डिस्चार्ज होने लगता है।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in

खूनी बवासीर में मस्से खूनी सुर्ख होते हैं और उनसे खून गिरता है जबकि बादी बवासीर में मस्से काले रंग के होते है और मस्सों में दर्द, खुजली और सूजन होती है। हालांकि खूनी बवासीर में किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं होती केवल स्टूल के साथ खून आता है।

शुरूआत में खून स्टूल के साथ सिर्फ टपकता है फिर पिचकारी की तरह आने लगता है। गुदा के अंदर मस्सा होता है जो अंदर की तरफ होता है और बाद में वो बाहर आने लगता है। आइए जानते हैं कि खूनी बवासीर के लक्षण कौन कौन से है और उसका आयुर्वेदिक तरीके से उपचार कैसे कर सकते हैं।

खूनी बवासीर के लक्षण कौन-कौन से हैं?

  • गुदा के आस-पास कठोर गांठ होना
  • शौच के बाद भी पेट साफ नहीं होना
  • स्टूल पास करने के दौरान लाल चमकदार खून आना और जलन होना।
  • शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।
  • गुदा के आस-पास खुजली, एवं लालीपन, व सूजन रहना।
  • स्टूल पास करते समय म्यूकस का आना।
  • बार-बार स्टूल पास करने की इच्छा होना, लेकिन पेट साफ नहीं होना

खूनी बवासीर दूर करने के लिए आप इन उपायों को अपना सकते हैं।

  • कत्था सफेद 100 ग्राम,
  • 100 ग्राम लाजवंती के बीज
  • 100 ग्राम इसबगोल की भूसी
  • 100 ग्राम अलसी के बीज
  • 100 ग्राम सफेद गोंद मोरिंगा लें।

इन सब चीजों को मिक्स करके उसका पाउडर बनाएं और उसे सुबह शाम नाश्ते के बाद दूध के साथ उसका सेवन करें। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट हकीम सुलेमानी के मुताबिक शुरुआत में इस पाउडर का एक ग्राम ही सेवन करें आप बाद में इसका सेवन बढ़ा भी सकते हैं।

इन उपायों को भी अपना सकते हैं।

  • सिट्ज़ बाथ लें सिट्ज़ बाथ लेकर आप गुदा क्षेत्र में होने वाले दर्द और सूजन को कम कर सकते हैं।
  • ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन कीजिए।
  • टॉयलेट जाते समय कभी भी टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल नहीं करें।
  • डाइट में फाइबर वाले फूड्स का सेवन करें।