योग भारत द्वारा दुनिया को दिया गया अनमोल उपहार है। भारत की इस प्राचीन परंपरा का लोहा अब पूरी दुनिया मानने लगी है। योग ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से योग के महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है। आज देश और दुनिया में योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। मौजूदा दौर में जिस तरह से लोगों की हेल्थ खराब हो रही है, उसमें योग की बढ़ती मांग के लिए हमारी प्राचीन परंपरा योग बहुत मायने रखती है। योग एक प्राचीन अभ्यास है जो शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने में हजारों वर्षों से अहम माना जाता है।
योग भारत में 5000 साल से भी पुराना है। मान्यताओं के अनुसार आदियोगी शिव ने इस प्रथा की शुरुआत की थी। इसके बाद हमारे महान भारतीय आचार्यों ने पारंपरिक योग की परंपरा को जीवित रखा और अपने अनुयायियों और बाकी दुनिया को योग से रूबरू कराया। योग की परंपरा को जीवित रखने में योग गुरुओं का अहम योगदान सदियों से रहा है। इन गुरुओं ने प्राचीन कला का प्रकाश पूरी दुनिया में फैलाया और दुनिया में प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के पूरे आयाम को बदल दिया। आइए हम आपको 5 ऐसे योग गुरुओं के बारे में बताते हैं जिन्होंने दुनिया में योग को मशहूर किया और जिनकी बदौलत योग से निरोग रहने का गुर सीखा।
परमहंस योगानंद ने फैलाया देश और दुनिया में योग:
गुरु परमहंस योगानंद भारत के विशिष्ट योगियों में से एक थे जिन्होंने ध्यान और क्रिया योग की शिक्षाओं को पश्चिमी देशों तक फैलाया। वह एक बहुत प्रसिद्ध पुस्तक ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी’ के लेखक भी थे, जिसने लोगों को भारत के कालातीत ज्ञान से बार-बार परिचित कराया है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मुकुंद लाल घोष के रूप में एक बंगाली परिवार में हुआ था। बहुत कम उम्र से ही मुकुंद ने आध्यात्मिक क्षेत्र के बारे में जागरूकता दिखाई।
बी. के. एस. आयंगर:
बी. के. एस. आयंगर का जन्म 14 दिसंबर, 1918 को कर्नाटक राज्य के वेल्लूर नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। आयंगर बचपन में मलेरिया, टायफाइड और टीबी जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित हुए थे। बहुत उपचार के बाद भी वह ठीक नहीं हो पा रहे थे। 1934 में जब वह 16 वर्ष के थे, उन्होंने योग गुरु टी. कृष्णामचार्य से योग की शिक्षा लेना शुरु किया और उसके बाद योग से खुद का उपचार किया। उन्होंने योग को ही अपना कर्म बना लिया। उन्होंने योग से अपनी सभी बीमारियों को दूर किया और लम्बी उम्र तक जीवित भी रहे। बी.के.एस.आयंगर के ‘अष्टांग योग’ की आज दुनिया भर में मान्यता है।
तिरुमलाई कृष्णमाचार्य:
आधुनिक योग के पिता के रूप में कुख्यात टी. कृष्णमचार्य एक प्रमुख आयुर्वेदिक विद्वान, एक योग शिक्षक और चिकित्सक थे जिन्होंने हठ योग की पारंपरिक कला को पुनर्जीवित किया। उनका जन्म 18 नवंबर 1888 को कर्नाटक में हुआ था, उन्होंने सांस और गति को पारंपरिक हठ योग में जोड़कर विनयसा योग (vinyasa yoga) का रूप विकसित किया। उनकी शिक्षण शैली पतंजलि योग सूत्र पर आधारित थी और उनके शिष्य बाद में वास्तव में प्रभावशाली योग शिक्षक बन गए।
स्वामी विवेकानंद ने बताया योग का महत्व:
स्वामी विवेकानंद के बारे में पूरी दुनिया जानती है जिन्होंने देश और दुनिया को योग के महत्व से रूबरू कराया। योग की अनेक धाराएं हैं जिसमें मंत्रयोग, हठयोग, लययोग और राजयोग को अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना गया है। स्वामी विवेकानंद ने योग की इन विशिष्ट परंपराओं को दुनिया के सामने रखा। उन्होंने राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग आदि योग पद्धतियों के द्वारा युवाओं में अध्यात्म एवं योग के प्रति समर्पण की भावना को जागरूक किया।
बाबा रामदेव ने नई जनरेशन में भरा योग का अहसास:
योग गुरू बाबा रामदेव ने नई जनरेशन में योग का महत्व बढ़ाया है। योग को जन-जन तक पहुंचाने में बाबा रामदेव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारत और विदेशों में उनके योग शिविरों में आम लोगों सहित कई बड़ी-बड़ी हस्तियां भी भाग ले चुकि हैं। बाबा रामदेव से योग सीखने वालों में अभिनेता अमिताभ बच्चन और अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी का नाम उल्लेखनीय है।