IRCTC Scam: दिल्ली की एक कोर्ट ने बुधवार को बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी द्वारा दायर याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है। राबड़ी देवी ने आईआरसीटीसी घोटाले से संबंधित मामले को राउज एवेन्यू कोर्ट के जज विशाल गोगने से किसी अन्य जज को ट्रांसफर करने की मांग की थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश भट्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया और एजेंसी से 6 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा।
राबड़ी देवी ने जज गोगने के समक्ष लंबित चार मामलों को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए न्यायालय में याचिका दायर की, जिनमें उन्हें और उनके परिवार के कई सदस्यों को आरोपी बनाया गया है। इनमें आईआरसीटीसी घोटाला मामला, कथित नौकरी के लिए नकदी मामला और उनसे जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही शामिल है।
हालांकि, कोर्ट ने आज केवल चार मामलों में से एक के संबंध में ही नोटिस जारी किया, क्योंकि अन्य तीन मामलों में याचिका में उपयुक्त संस्थाओं को पक्षकार नहीं बनाया गया था। इसलिए, न्यायालय ने राबड़ी देवी से उन तीन मामलों के संबंध में संशोधित याचिका दायर करने को कहा।
13 अक्टूबर को न्यायाधीश गोगने ने आईआरसीटीसी मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और कई अन्य के खिलाफ आपराधिक आरोप तय किए थे।
अपनी याचिका में राबड़ी देवी ने न्यायाधीश पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाया है और कहा है कि वह पूर्वनियोजित मन से उनके और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मुकदमा चला रहे हैं। उनकी दलील के अनुसार, न्यायाधीश अभियोजन पक्ष के प्रति “अनुचित रूप से झुके हुए” हैं।
आवेदन में कहा गया है, “उपर्युक्त सभी मामलों में कार्यवाही के दौरान विभिन्न अवसरों पर माननीय विशेष न्यायाधीश का आचरण अभियोजन पक्ष और पक्षपात की ओर अनुचित रूप से झुका हुआ प्रतीत होता है, जिसे मामले की कार्यवाही/आदेशों के कई उदाहरणों से देखा जा सकता है, जिससे आवेदक के मन में पक्षपात की उचित आशंका पैदा हुई है और न्याय, समानता और निष्पक्षता के हित में मामलों को सक्षम क्षेत्राधिकार वाले किसी अन्य न्यायालय में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। “
याचिका में आरोप लगाया गया है कि न्यायाधीश का आचरण उनसे अपेक्षित निष्पक्षता को प्रभावित करता है और राबड़ी देवी के मन में “पक्षपात की उचित संभावना” पैदा करता है।
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आईआरसीटीसी मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि लालू यादव और उनके परिवार ने केंद्रीय रेल मंत्री रहते हुए एक निजी फर्म को ठेके देने के लिए रिश्वत के रूप में बेशकीमती जमीन और शेयर लिए थे। इस मामले में न्यायालय ने यादव परिवार के खिलाफ आरोप तय किए।
इस बीच, नौकरी के बदले नकदी मामले में आरोप यह है कि लालू यादव के केंद्रीय रेल मंत्री रहने के दौरान, बिहार के विभिन्न निवासियों को नौकरी दी गई, क्योंकि उन्होंने अपनी जमीन यादव और उनके परिवार के सदस्यों के नाम कर दी थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर कथित धन शोधन के मामलों में मुकदमा चला रहा है।
