विनायक मोहनरंगन। वुमेंस टी20 वर्ल्ड कप 2024 में शुक्रवार (4 अक्टूबर) को भारतीय टीम अपने अभियान का शुरुआत करेगी तो वह आईसीसी ट्रॉफी के सूखे को खत्म करना चाहेगी। दुनिया की बेहतरीन महिला क्रिकेट टीमों में शामिल भारतीय टीम आजतक एक भी आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीती है। उसके पास वुमेंस टी20 वर्ल्ड कप 2024 का खिताब जीतने का अच्छा अवसर है। हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली टीम के लिए सबसे बड़ी उम्मीद 28 साल की स्मृति मंधाना होंगी, जिनका यह छठा टी20 वर्ल्ड कप है।

स्मृति मंधाना एक क्रिकेट प्रेमी परिवार में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता को क्रिकेट काफी पसंद था। उनके बड़े भाई भी देश के लिए खेलने की महत्वाकांक्षा रखते थे और वह अपने भाई के साथ प्रैक्टिस करती थीं। लेकिन मंधाना को शुरुआती दिनों में उनका जुनून क्रिकेट के प्रति नहीं था। वह सिर्फ बल्लेबाज़ी करना चाहती थीं। वह बस क्रिकेट का बल्ला थामकर ज्यादा से ज्यादा गेंदें मारना चाहती थीं।

मंधाना ने अपने करियर में एक लंबा सफर तय किया

आज बल्लेबाजी के प्रति जुनूनी वाली वह बच्ची संयुक्त अरब अमीरात में टी20 विश्व कप में आईसीसी खिताब के लिए लंबे इंतजार को खत्म करने की भारत की सबसे बड़ी उम्मीद है। सिर्फ 28 साल की उम्र छठी बार इस टूर्नामेंट में खेलने वालीं मंधाना ने अपने करियर में एक लंबा सफर तय किया है। महाराष्ट्र के सांगली की यह कुड़ी सुर्खियों में आने पर असहज महसूस करती है।

मां के पेट में क्रिकेट सीखा

मंधाना ने आरसीबी पॉडकास्ट में इस साल कहा था, “मैं अपने घर पर मजाक करती थी कि मैंने क्रिकेट तब सीखा जब मैं अपनी मां के पेट में थी। मेरे अंदर क्रिकेट से ज्यादा बल्लेबाजी के प्रति जुनून था। क्रिकेट को करियर बनाने की बात मेरे दिमाग में बहुत बाद में आई, जब मैं लगभग 9-10 साल की थी, लेकिन मुझे याद है कि बचपन में मुझे बल्लेबाजी बहुत पसंद थी।”

भाई की वजह से लेफ्ट हैंडर बनीं

मंधाना बाएं हाथ की स्टाइलिश बल्लेबाज हैं, लेकिन स्वभाविक रूप से वह राइट हैंडर हैं। मंधाना के बाएं हाथ से बल्लेबाजी करने का कारण भाई हैं। वह बाएं हाथ के बल्लेबाज थे। हालांकि, जब उनके भाई क्रिकेट से दूर चले गए, तो मंधाना को लगा कि घर में एक भारतीय क्रिकेटर होने के अपने पिता के सपने को पूरा करना उनका काम है। उनके पिता और भाई क्रिकेट से बहुत प्रभावित थे, लेकिन मंधाना की मां ने ही उन्हें दिशा दी।

समय के साथ मंधाना का खेल और निखरा

मंधाना की शानदार बल्लेबाजी ने वह ध्यान आकर्षित किया, जिसकी वह हकदार थीं और वह एज-ग्रुप क्रिकेट के दिनों में अक्सर उन खिलाड़ियों के साथ खेलती थीं, जो उनसे 3-4 साल बड़े होते थे। समय के साथ मंधाना का खेल और निखरा है। ऑफसाइड में शानदार बैटिंग करने वालीं मंधाना को 2017 मे अहसास हुआ कि उन्हें कुछ सुधार करना होगा। 2017 के विश्व कप में लगाए गए छक्कों की संख्या और हाई स्कोर को देखते हुए मंधाना को लगा कि उन्हें अपने शॉट्स की रेंज बढ़ानी होगी।

पावर गेम और लॉफ्टेड शॉट

मंधाना ने कहा, “मुझे याद है कि मैंने तब अपने कोच से केवल एक ही बात कही थी कि मुझे पावर गेम और लॉफ्टेड शॉट लगाने की जरूरत है। उसके बाद के दो महीनों में, हमने 50 मीटर से 80 मीटर तक मार्कर लगाए, धीरे-धीरे इसे विकसित किया और पिछले कुछ वर्षों में मैं सुधार करने में सक्षम रही हूं।”

मंधाना के स्ट्राइक रेट में भी सुधार

मंधाना के स्ट्राइक रेट में भी यह सुधार देखने को मिली। लेग साइड में वह अच्छी बल्लेबाजी करने लगी हैं। वह हमेशा से अच्छा पुल शॉट खेलती थीं, लेकिन वह अब लॉन्ग ऑन और मिडविकेट की ओर हवाई शॉट काफी खेलती हैं। स्पिन के खिलाफ कमजोरी चिंता का विषय बनी हुई है, लेकिन गेंदबाज अब लगातार ऑफ स्टंप के बाहर अटैक नहीं कर सकते, जब वह दूसरी तरफ जाने के लिए आगे बढ़ती हैं।

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को खिताब दिलाया

मैदान के बाहर, वुमेंस प्रीमियर लीग (WPL) का पहला सीजन भी बल्लेबाज और लीडर के तौर पर उनके लिए एक चेतावनी थी। अपने फॉर्म से जूझते हुए मंधाना को इस बात का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ा कि वह अपने साथियों के सामने खुद को बेहतर तरीके से कैसे व्यक्त करती हैं। 2024 में आत्मविश्वास से लबरेज दिखीं। न केवल अच्छी बल्लेबाजी की, बल्कि कप्तान के रूप में भी कदम बढ़ाया और आखिरकार रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को वह खिताब जीतने में मदद की, जिसके लिए वे तरस रहे थे।

विश्व कप जीतना लक्ष्य

प्रेजेंटेशन सेरेमनी के दौरान भी, मंधाना से पूछा गया कि WPL खिताब उनकी उपलब्धियों की सूची में किस स्थान पर है। उन्होंने कुछ सेकंड लिए, यह सुनिश्चित किया कि वह बताएं कि एक फ्रेंचाइजी के रूप में RCB के लिए यह खिताब कितना महत्वपूर्ण है, लेकिन अंत में यह कहा कि विश्व कप अभी भी अंतिम लक्ष्य है।