मुंबई और विदर्भ के बीच रणजी ट्रॉफी 2024 का फाइनल रोमांचक मोड़ पर है। इसका श्रेय विदर्भ के कप्तान अक्षय वाडेकर को जाता है। वह 538 रन के टारगेट के बाद भी मुंबई और जीत के बीच दीवार बनकर खड़े हो गए। रणजी ट्रॉफी फाइनल के पांचवें दिन 14 मार्च ( गुरुवार) को लंच ब्रेक के बाद उन्होंने शतक जड़ दिया। हालांकि, इसके बाद वह ज्यादा देर तक क्रीज पर नहीं टिके और 199 गेंद पर 102 रन बनाकर आउट हुए। उन्होंने हर्ष दुबे 65 के साथ 130 रन की साझेदारी की। तनुष कोटियान ने उनका विकेट लिया।

नवंबर 2107 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू करने वाले अक्षय वाडेकर विकेटकीपर बल्लेबाज हैं। भारत में अमूमन विकेटकीपर बल्लेबाजों के रोल मॉडल टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी होते हैं, लेकिन विदर्भ का यह 29 साल का विकेटकीपर बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा का फैन है। वह घरेलू क्रिकेट के लिए इंग्लिश काउंटी तक प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं। विदर्भ की टीम 2017 और 2019 में चैंपियन बनी थी। अक्षय वाडेकर दोनों टीम का हिस्सा थे। 2017 में उन्होंने दिल्ली के खिलाफ पहली पारी में 133 रन की पारी खेली थी। स्पोर्ट्सस्टार को 2019 दिए इंटरव्यू में अक्षय वाडेकर ने बताया था कि क्यों उन्होंने ऋद्धिमान साहा पसंद हैं और काउंटी क्रिकेट का प्रस्ताव क्यों ठुकराया था।

ऋद्धिमान साहा को लेकर क्या बोले अक्षय वाडेकर

विकेटकीपर रोल मॉडल को लेकर अक्षय वाडेकर न कहा था, “मैं ऋद्धिमान साहा को फॉलो करता हूं। स्टंप के पीछे उनका रवैया शानदार है। वह कीपिंग करते हुए काफी हिलते-डुलते हैं। वह वास्तव में बहुत अच्छी तरह से डाइव लगाते हैं। खेल के दौरान खिलाड़ी चोटों के बारे में नहीं सोचता, इसलिए मैंने भी कभी इसके बारे में नहीं सोचा। उनकी कीपिंग क्षमता से मुझे यह आभास होता है कि यदि आपने अभ्यास में 100 बार डाइव लगाया है, तो मैच में एक-दो बार ऐसा करना कोई समस्या नहीं है।”

काउंटी क्रिकेट का प्रस्ताव क्यों ठुकरा

काउंटी क्रिकेट का प्रस्ताव ठुकराने पर अक्षय वाडेकर ने कहा था, ” एक बार मुझे मौका मिला था। वसीम भाई (जाफर) से संपर्क हुआ था और उन्होंने मुझसे पूछा था कि क्या मैं इंग्लैंड जाने का इच्छुक हूं, लेकिन मैं भारतीय परिस्थितियों में गर्मी में स्पिन खेलने की कला में महारत हासिल करना चाहता था। मैं कभी इंग्लैंड नहीं जाना चाहता था। मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में मुझे घरेलू सत्र में यहां खेलते समय स्पिनरों का सामना करना पड़ता है।”