भारतीय क्रिकेट टीम ने अपनी सरजमीं पर 2011 में वर्ल्ड कप जीता था। उस टीम के की खिलाड़ी 2003 और 2007 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा रह चुके थे। 2003 में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, 2007 में टीम इंडिया पहले राउंड में ही बाहर हो गई थी। अपनी मेजबानी में वर्ल्ड कप जीतने का दबाव सभी खिलाड़ियों पर था, लेकिन टीम के कुछ खिलाड़ियों पर उससे ज्यादा स्टेडियम में अपनों के लिए टिकट जुगाड़ करने का दबाव था। इसका खुलासा जहीर खान और रविचंद्रन अश्विन ने एक इंटरव्यू में किया था।

वियू इंडिया के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो पिछले साल शेयर किया था, जिसमें अभिनेता अपारशक्ति खुराना ने वीरेंद्र सहवाग, जहीर और अश्विन का इंटरव्यू लिया था। इस दौरान सहवाग ने कहा, ‘‘खिलाड़ियों के रूम में जो भी आता था वो कहता था कि सर पास दे दीजिए। वो सेमीफाइनल और फाइनल मैच के लिए एक या दो पास मांगते थे। हमें केवल तीन पास मिलते थे। मिलने चाहिए थे छह, लेकिन मिले थे सिर्फ तीन पास। तीन पास मिले और तीस लोग हैं। अब उसे बांटे कैसे। आप किसी न किसी से मांगते तो जरूर। अब मान लिजिए कि अश्विन के पास तीन पास हैं तो तमिलनाडु से चंडीगढ़ कोई देखने आने वाला तो है नहीं।’’

इस पर अश्विन ने कहा, ‘‘मैं दो साल से टीम में था। हमेशा सभी ईयरफोन लगाकर बस में म्यूजिक सुनते थे। मुझे समझ नहीं आया कि जब वर्ल्ड कप शुरू हुआ तो लोग मुझे बुलाते थे। ऐसा लगता था कि मैं आज खेलने वाला हूं। बाद में पता चला कि वे पास के लिए पूछ रहे थे। युवराज सिंह मुझे पूछते थे कि चंडीगढ़ में कोई है क्या? तो मैं कहता था नहीं। इस पर वो कहते थे कि टिकट दे दे यार। वीरू पा (सहवाग) मेरे पास आकर कहते थे तीन टिकट दे दे। फिर मैं उन्हें दे देता था। सभी आपस में टिकट बांटते थे।’’

इसके बाद जहीर ने कहा, ‘‘वीरेंद्र सहवाग को सबसे ज्यादा टेंशन वर्ल्ड कप में ये नहीं था कि किसे खेलना है। डेल स्टेन कैसी गेंदबाजी करेगा या कोई और कैसी गेंदें डालेगा। उन्हें टिकट का टेंशन ज्यादा था।’’ इसके बाद सहवाग ने कहा, ‘‘इतने सालों से तो उसे खेलते आ रहे हैं। पता है कि डेल स्टेन कैसी गेंदबाजी करेगा या मोर्ने मॉर्कल किस तरह गेंद फेंकेगा। लेकिन इतने सालों से टिकट नहीं मिल रहा था। मौका यही सही था। मौके पे चौके मारो।’’