अर्थशास्त्र में पीएचडी 31 साल के हरविंदर सिंह ने शुक्रवार यानी 3 सितंबर 2021 को टोक्यो में इतिहास रचा। उन्होंने पैरालंपिक की तीरंदाजी स्पर्धा में भारत को पहला पदक दिलाया। हरविंदर ने पुरुषों के व्यक्तिगत रिकर्व वर्ग में कांस्य पदक के लिए रोमांचक शूटऑफ में कोरिया के किम मिन सू को मात दी। दुनिया के 23वें नंबर के खिलाड़ी हरविंदर सिंह ने 2018 पैरा एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।

टोक्यो पैरालंपिक्स में अब भारत के पदकों की संख्या 13 हो गई है। उसके खाते में अब 2 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य पदक हैं। भारत का पैरालंपिक में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। रियो पैरालंपिक (2016) में भारत ने 2 स्वर्ण समेत 4 पदक जीते थे। पैरालंपिक्स में भारत के पदकों की संख्या अब 25 हो गई है। इसमें भारतीय खिलाड़ियों ने 13 पदक इसी बार जीते हैं।

पटियाला स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र हरविंदर ने कांस्य पदक के प्लेऑफ में 5-3 से बढत बना ली थी, लेकिन कोरियाई तीरंदाज ने पांचवां सेट जीतकर मुकाबले को शूटऑफ में खींचा। हरविंदर सिंह ने परफेक्ट 10 लगाया, जबकि किम 8 का ही स्कोर कर सके। हरविंदर ने 26-24, 27-29, 28-25, 25-25, 26-27, 10-8 से जीत दर्ज की। सेमीफाइनल में वह अमेरिका के केविन माथेर से 4-6 से हार गए थे।

हरविंदर सिंह ने पहले दौर में इटली के स्टेफानो ट्राविसानी की चुनौती शूटआउट में 6-5 (10-7) से समाप्त की। वह तीसरे सेट में सात का निशाना लगाकर 4-0 की बढ़त गंवा बैठे लेकिन उन्होंने वापसी करते हुए 5-5 से बराबरी की और शूट ऑफ में पहुंचे। हरियाणा के कैथल गांव के हरविंदर सिंह ने टाई ब्रेकर में परफेक्ट 10 का निशाना लगाकर इसमें जीत हासिल की, जबकि प्रतिद्वंद्वी केवल सात का ही निशाना लगा सका।

इसके बाद उन्होंने रूसी पैरालंपिक समिति के बाटो सिडेंडरझिएव को 6-5 से हराया। उन्होंने मुकाबले में 0-4 से पिछड़ने के बाद 5-5 से बराबरी की और शूटऑफ में 8-7 से जीत हासिल की। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने तीन बार के पैरालंपियन जर्मनी के माइक जारजेवस्की को 6-2 से हराया।

मध्यम वर्ग किसान परिवार के हरविंदर सिंह जब डेढ़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था। स्थानीय डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगाया। इसका उनके शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ा। तब से उनके पैरों ने ठीक से काम करना बंद कर दिया। हरविंदर के कोच गौरव शर्मा के मुताबिक, हरविंदर को इतिहास से प्यार है। वह एक चित्रकार हैं। उन्होंने एक दिन यूपीएससी की परीक्षा पास करने का सपना देखा है।

कोच ने बताया कि हरविंदर को उनके एशियाई खेलों की उपलब्धि के आधार पर राज्य सरकार में सरकारी नौकरी की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया था। गौरव शर्मा ने कहा, ‘उन्होंने तब इसे नहीं लिया। वह अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं। उनका सपना यूपीएससी परीक्षा को पास करना है।’