पिछले तीन दशकों में भारतीय क्रिकेटर्स ने सचिन तेंदुलकर के साथ अपनी पहली मुलाकात को बड़े प्यार से याद किया है। हालांकि, इस बार सचिन तेंदुलकर ने ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह के साथ अपनी पहली मुलाकात के बारे में बात करने के लिए इतिहास के पन्नों को पलट दिया।
सचिन तेंदुलकर ने बताया, ‘मुझे याद है। मैंने हरभजन सिंह को पहली बार मोहाली में देखा था। यह 90 के दशक के मध्य की बात है। किसी ने मुझसे बताया था कि हरभजन ‘दूसरा’ से बहुत अच्छी गेंदबाजी करते हैं। मैंने कहा- ठीक है, उसे नेट्स पर बुलाओ।’
सचिन तेंदुलकर ने बताया, हर गेंद फेंकने के बाद, रन-अप पर वापस जाने के बजाय, वह मेरे पास आता और कहता- ‘क्या पाजी’ और फिर लौट जाता। मैं कहता- ‘कुछ नहीं।’ टीम इंडिया में आने के बाद उसने मुझसे इस बारे में बात की।
टीम में चुने जाने के बाद हरभजन को समझ में आई बात
सचिन ने बताया, ‘हरभजन ने कहा- पाजी, आपसे एक बात करनी है। उन्होंने कहा कि याद है पहली बार जब मैंने आपको मोहाली में गेंदबाजी की थी। अब मुझे अहसास हुआ है कि तब आप अपना हेलमेट एडजस्ट कर रहे होते थे और मैं समझता था कि आप मुझे बुला रहे हैं। तो इसलिए भज्जी आते थे और कहते थे कि क्या चाहिए पाजी। मैं कहता कुछ नहीं.. फिर वह वापस चले जाते।’
हरभजन ने मार्च 1998 में भारत के लिए पदार्पण किया। हरभजन सिंह भारत की 2011 विश्व कप जीत में भी सचिन तेंदुलकर के साथ टीम का हिस्सा थे। दोनों ने 2008 से 2013 तक इंडियन प्रीमियर लीग में छह साल तक मुंबई इंडियंस के लिए एक साथ खेला।
साल 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद ट्रेनिंग और क्रिकेट खेलने को लेकर सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘ऐसा अक्सर नहीं होता है। पहले मैं अभ्यस्त था। क्रिकेट से ब्रेक के बाद भी मुझे अभ्यास के लिए कुछ समय मिल जाता था।’
सचिन तेंदुलकर ने बताया, ‘कभी-कभी मुंबई इंडियंस के साथ। मैं गेंदबाजों को मुझे गेंदबाजी करने के लिए कहता था, लेकिन वास्तव में नहीं अभी बहुत देर नहीं हुई है।’ सचिन तेंदुलकर ने रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज में भारतीय टीम की अगुआई की थी।
जब भी भारत के लिए खेलो, मूर्खता मत करो: सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘जब मैंने पिछले दो साल में उन कुछ टूर्नामेंट्स में खेला है, तभी मैं अभ्यास करता हूं, क्योंकि जब भी मेरे हाथ में क्रिकेट का बल्ला हो, तो यह सीरियस बिजनेस होना चाहिए। यह मनोरंजन के लिए नहीं होना चाहिए।’
सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘जब आप भारत के लिए खेल रहे हों तो कुछ भी हल्के में नहीं लेना चाहिए और यह मेरा फॉर्मूला है। मेरे कोच, मेरे परिवार और मेरे भाई ने सभी ने मुझसे कहा कि जब आपके हाथ में बल्ला हो तो मूर्खता मत करो।’