दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा टैस्ट शृंखला में पिचों को लेकर हो रही आलोचना से खफा भारतीय टीम के निदेशक रवि शास्त्री ने कहा है कि तीन दिन में टैस्ट मैच खत्म होने में कोई बुराई नहीं है और आलोचकों को शिकायतें करना बंद करना चाहिए। शास्त्री ने ईएसपीएन क्रिकइन्फो से कहा कि पिचों में कोई खराबी नहीं है। मैं उम्मीद करता हूं कि दिल्ली में भी ऐसी ही पिच मिलेगी। मुझे इससे कोई शिकायत नहीं है। भारत चार मैचों की शृंखला में 2-0 से आगे है। दूसरा मैच बारिश में धुल गया था। तीसरा मैच तीन दिसंबर से दिल्ली में खेला जाएगा।
पूरी शृंखला स्पिनरों की मददगार पिचों को लेकर विवादों के घेरे में रही। दक्षिण अफ्रीका ने हालांकि इसकी शिकायत नहीं की। शास्त्री ने कहा कि टैस्ट मैच तीन दिन के भीतर खत्म होने में कोई बुराई नहीं है। नागपुर में मुकाबला बराबरी का था। इस मैच की पर्थ टैस्ट से तुलना करें तो मैं इस मैच को देखना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि पिचों की आलोचना करने वालों को समझना चाहिए कि बल्लेबाज पिचों की वजह से नहीं बल्कि अपनी तकनीकी खामियों की वजह से आउट हुए हैं। इससे दिखता है कि क्रीज पर लंबे समय तक खड़े रहने की कला खत्म हो रही है। वनडे क्रिकेट ज्यादा खेलने से ऐसा हुआ है। इस तरह की पिचों पर खेलने से ही पता चलेगा कि क्रीज पर समय बिताना जरूरी है।
शास्त्री ने कहा कि जब आप हाशिम अमला और फाफ डु प्लेसिस को बल्लेबाजी करते देख रहे थे तो लगा होगा कि पिच में कोई खराबी नहीं है। इसी तरह की पिचों पर पहले बल्लेबाज शतक बनाते आए हैं क्योंकि वे इसके लिए तैयार रहते थे। संयम के साथ खेलने वाले बल्लेबाज इन पिचों पर अभी भी शतक बना सकते हैं। मुझे लगता है कि सब्र से खेलने पर 80-90 रन, यहां तक कि शतक बनाया जा सकता था। मुरली विजय जिस तरह से खेल रहा था, वह शतक बना सकता था। उन्होंने कहा कि पिच में कोई दिक्कत नहीं है। दोनों टीमों के लिए पिच समान है। इस पिच पर 275 या 250 का स्कोर काफी था। इसकी शिकायत बंद करके अपने काम पर ध्यान देना चाहिए।
शास्त्री ने कहा कि मिसाल के तौर पर बंगलुरु की पिच शानदार थी। मुझे दुख है कि हम 3-0 से बढ़त नहीं बना सके। अच्छी पिच पर दक्षिण अफ्रीका को आउट करके हमने बिना किसी नुकसान के 80 रन बना लिए थे और अगले चार दिन दबाव बनाकर रख सकते थे। लोग उसके बारे में बात नहीं करेंगे। उन्होंने इस आलोचना को भी खारिज किया कि नागपुर में पिच में असमान उछाल था। उन्होंने कहा, ‘कहां असमान उछाल था। ठीक ही था। दूसरे या तीसरे दिन के बाद गेंद धीमी आने लगी। आप मुझे बताई कि कौन सा बल्लेबाज नीचे की ओर जाती गेंद पर आउट हुआ, सिर्फ दूसरी पारी में मिश्रा या फाफ डु प्लेसिस को छोड़कर’।
शास्त्री ने विराट कोहली और आर अश्विन के बयान से सहमति जताई कि विदेशी पिचों के बारे में भारत में कभी शिकायत नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि हम विदेशी दौरों पर कभी वहां की पिचों की शिकायत नहीं करते। उन्होंने कहा कि जब हम विदेश जाते हैं तो हमारे पास विकल्प नहीं होते। आप क्यों शिकायत करेंगे। कोई शिकायत नहीं करता। सिर्फ वे ही शिकायत करते हैं जिन्होंने कभी क्रिकेट नहीं खेली है। उन्होंने कहा कि उन्हें (आस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर) आस्ट्रेलिया में बैठकर अपनी पिचों के बारे में बात करने दो। उन्हें बता दो कि भारतीय पिचों पर बात करके अपना समय बर्बाद नहीं करें। यहां आकर खेलें।