मध्य प्रदेश 23 वर्षों के बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचने में सफल रहा है। उसने सेमीफाइनल में बंगाल को 174 रन से हराया। अब उसका सामना 41 बार की रणजी ट्रॉफी विजेता मुंबई से होगा। मुंबई में उत्तर प्रदेश के खिलाफ ड्रॉ खेला था, लेकिन पहली पारी में बढ़त के आधार पर वह फाइनल के लिए क्वालिफाई करने में सफल रहा। मध्यप्रदेश घरेलू स्तर के इस सबसे बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में आखिरी बार 1998-99 में पहुंचा था। संयोग से, मध्यप्रदेश के मौजूदा कोच चंद्रकांत पंडित उस समय मध्यप्रदेश टीम के कप्तान थे। चंद्रकांत पंडित के सीवी के लिए एक और यादगार उपलब्धि होगी यदि वह एक और अनजान टीम को एक खिताब तक ले जाने का प्रबंधन करते हैं।
रणजी ट्रॉफी फाइनल 22 से 26 जून 2022 के बीच बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जाना है। हालांकि, मैच से पहले ही चंद्रकांत पंडित बनाम अमोल मजूमदार को लेकर बहस शुरू हो गई है। चंद्रकांत पंडित मुंबई के पूर्व खिलाड़ी और कोच रह चुके हैं। वह मुंबई रणजी चैंपियन टीम के भी कोच रहे हैं। खास यह है कि चंद्रकांत पंडित के कोच रहते अमोल मजूमदार मुंबई की ओर से खेल चुके हैं।
चंद्रकांत पंडित ने सेमीफाइनल के बाद ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, ‘अमोल क्यों, इस बारे में सोचें कि किसी भी मुंबईकर के दिमाग में क्या चल रहा होगा। अमोल अनुभवी खिलाड़ी हैं, वह मेरे साथ थे, मैंने उनके साथ समय बिताया है। वह मेरे मन को जानता है और मुझे उसका पता है। हम दोनों एक साथ, ये मुंबई वालों का दिमाग है, तो देखते हैं क्या होता है। कोई भी यह तय करने वाला नहीं है कि कौन सबसे अच्छा है, कौन सबसे अच्छा नहीं है। मुझे खुशी है कि ये लड़के 20 साल बाद फाइनल में प्रवेश कर रहे हैं।’
अमोल मजूमदार ने कहा, ‘यह एक मैच है, फाइनल मैच है। हम सिर्फ प्रॉसेस पर ध्यान दे रहे हैं। यह ड्रेसिंग रूम से शुरू होता है और मैदान पर खत्म होता है। हम इसको फॉलो कर रहे हैं। बाहर क्या हो रहा है, हम इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, यहां (मुंबई रणजी टीम में) कुछ बड़ी प्रतिभाएं हैं। उन्होंने जिस तरह से परिस्थितियों का जवाब दिया है उससे मैं खुश हूं।’
उन्होंने कहा, ‘मेरा हमेशा से मानना था कि बतौर कोच आपको उनकी मानसिकता को समझने की जरूरत है। हर खिलाड़ी स्पेस चाहता है। जब मैं एक खिलाड़ी था, मुझे स्पेस चाहिए था। एक कोच के रूप में, मैं उस स्पेस को देने में विश्वास करता हूं। मैं शाम 6 बजे के बाद उनकी जिंदगी में दखल नहीं देता।’