विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक में इतिहास रचने के बावजूद पदक जीतने से चूक गईं। वह फाइनल में स्वर्ण पदक की दावेदार मानी जा रहीं थीं, लेकिन प्रतिस्पर्धा वाले दिन उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा निकला और वह डिस्क्वालिफाई हो गईं। उनके डिस्क्वालिफाई होने पर देश भर के खेल प्रेमियों ने निराशा जाहिर की। राजनेताओं ने ओलंपिक आयोजन समिति के फैसले पर अपना विरोध जताया। हालांकि, नतीजा सिफर रहा और विनेश पेरिस से खाली हाथ भारत लौटीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें चैंपियन ऑफ चैंपियन कहा, लेकिन विनेश फोगाट को लगता है कि ऐसा सिर्फ उन्होंने जनता की सहानुभूति लेने के लिए किया। विनेश फोगाट का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में खिलाड़ियों के प्रति सच्चा प्यार नहीं है। वह सिर्फ अपनी ताकत दिखाने के लिए ऐसा करते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में विनेश ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की।

सवाल: आपने जंतर-मंतर पर अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रधानमंत्री की चुप्पी के बारे में बात की है…

विनेश फोगाट: यह बहुत निराशाजनक था। वह एथलीट्स से मिलते रहते हैं और कई अलग-अलग काम करते रहते हैं। अगर वह खेलों के बारे में वाकई सोचते हैं और खिलाड़ियों के लिए उनका सच्चा प्यार है, तो मुझे नहीं लगता कि इतनी बड़ी घटना (विरोध प्रदर्शन) के बाद वह खुद को रोक पाते… जब उन्हें सब कुछ पता होता है, तब भी कुछ नहीं कहना… यह खिलाड़ियों के लिए सच्चा प्यार नहीं है, वह सिर्फ अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं।

सवाल: आपके पदक से चूकने के बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया था कि ‘आप चैंपियनों में चैंपियन हैं’

विनेश फोगाट: उन्होंने कब ट्वीट किया? मेरे फाइनल में पहुंचने के एक पूरे दिन बाद तक कोई ट्वीट नहीं किया। इससे पहले उन्होंने तुरंत सभी एथलीट्स को फोन किया था। वजन मापने का मुद्दा अगले दिन हुआ। फाइनल में पहुंचने के बाद मुझे प्रधानमंत्री का फोन क्यों नहीं आया? कारण स्पष्ट है।

सवाल: खबर है कि हरियाणा सरकार आपको ओलंपिक रजत पदक विजेता जितना इनाम देने को तैयार है…

विनेश फोगाट: पूरा देश उम्मीद कर रहा था कि मैं स्वर्ण पदक जीतूंगी। अगर सरकार कहती कि हम स्वर्ण पदक विजेता जितना इनाम देंगे तो लगता कि वादा दिल से किया गया है, लेकिन इसमें राजनीति ज्यादा थी… कि हम आपको रजत पदक विजेता जितना इनाम देंगे और आपको सम्मानित करेंगे। देशवासियों के दिल में मेरे प्रति भावनाएं थीं, मैं किसी को भावनाओं के साथ राजनीति नहीं करने दूंगी। पहले सुना कि कोई कार्यक्रम (सम्मान) होगा। मैंने चेक लौटा दिया। फिर उन्होंने कहा कि खाते में आ जाएगा, लेकिन कुछ नहीं आया। यह सिर्फ बातें थीं क्योंकि चुनाव नजदीक थे। मुझे ओलंपिक खेलने के लिए सिर्फ 15 लाख रुपये मिले।

सवाल: क्या आपको लगता है कि अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संस्था को दूसरे दिन कम से कम 1 KG वजन घटाने की छूट देनी चाहिए?

विनेश फोगाट: बिल्कुल। मुझे लगता है कि फाइनल में पहुंचने वालों का वजन दोबारा जांचने की भी जरूरत नहीं है। या उन्हें दूसरे दिन वजन मापने में थोड़ी देरी करनी चाहिए ताकि उन्हें अधिक समय मिल सके। इसमें छूट होनी चाहिए, खासकर महिलाओं के लिए क्योंकि उनकी शारीरिक संरचना पुरुषों से अलग होती है। जब आप अपनी फिटनेस के चरम पर होती हैं तो महिलाएं एक दिन में 3 किलो से अधिक वजन नहीं घटा सकती हैं क्योंकि आपका वसा प्रतिशत पहले से ही बहुत कम होता है। पुरुष पहलवान ऐसा कर सकते हैं लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि हमारे शरीर में पानी जमा रहता है। सभी महिला एथलीट्स दूसरे दिन वजन घटाने को लेकर चिंतित रहती हैं। खेल गांव में अलग-अलग खेलों से कम से कम 50 ऐसे एथलीट थे, जिन्होंने मुझे गले लगाया और कहा कि यह गलत है।