पाकिस्तान (Pakistan) की सबसे चर्चित सिंगर्स (Singer) में से एक नूरजहां (Noor Jehan) करीब 7 दशक तक अपनी जादुई आवाज से श्रोताओं का दिल जीतती रहीं। नूरजहां (Noor Jehan) को पाकिस्तान की मल्लिका-ए-तरन्नुम (Mallika-e-Tarannum) के खिताब से नवाजा गया था। नूरजहां के बारे में कहा जाता है कि गाना रिकॉर्ड करते समय वह दिल, दिमाग और अपनी आत्मा झोंक देती थीं। पड़ोसी मुल्क में नूरजहां और पाकिस्तानी क्रिकेटर नजर मोहम्मद (Nazar Mohammad) के किस्से काफी मशहूर हैं। भारतीय दिग्गज सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) से भी एक बार उनका आमना-सामना हुआ था। तब नूरजहां ‘लिटिल मास्टर’ के साथ अच्छे से पेश नहीं आईं थीं। इस पर सौम्य स्वभाव वाले गावस्कर ने भी उनके साथ ‘जैसे को तैसा’ व्यवहार किया था।
मशहूर कॉमेंटेटर सुशील दोशी (Sushil Doshi) ने अपने संस्मरण में सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) और नूरजहां की मुलाकात के किस्से का जिक्र किया है। सुशील दोशी लिखते हैं, ‘साल 1982 में भारतीय क्रिकेट टीम के पाकिस्तान दौरे का पहला मकसद था दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों में मधुरता लाना। ऐसे में पाकिस्तान की उस यात्रा के लिए भारतीय टीम (Team India) के साथ बड़ौदा (Baroda) के भूतपूर्व महाराज फतेहसिंह राव गायकवाड़ (Fatehsingh Rao Gaekwad) को भी भेजा गया था। पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक (Muhammad Zia-ul-Haq) के अलावा पूरे पाकिस्तान के प्रमुख अधिकारियों से फतेहसिंह राव गायकवाड़ (Fatehsingh Rao Gaekwad) के रिश्ते अच्छे थे। फतेहसिंह राव गायकवाड़ (Fatehsingh Rao Gaekwad) बहुत ही तेजस्वी लगते थे और प्रोटोकॉल का पालन करते थे।’
सुशील दोशी ने हिंदी कॉमेंटेटर के रूप में पाकिस्तान (Pakistan) का वह दौरा किया था। सुशील दोशी (Sushil Doshi) के मुताबिक, ‘पाकिस्तान (Pakistan) पहुंचने पर हम लोगों का बड़ा गर्मजोशी से स्वागत किया हुआ। पाकिस्तान की जनता ने हमारा ऐसे स्वागत किया जैसे हम उन्हीं के भाई (Brother) हों। सन 1982 में जो भारतीय टीम (Team India) पाकिस्तान गई थी उसे दुनिया में ‘क्रिकेट राजनीति’ (Cricket Politics) भी कहा गया। संबंधों में सुधार की इस भारतीय कोशिश को दुनिया भर में सराहा गया। इस दौरान एक दिलचस्प घटना हुई।’
सुशील दोशी ने लिखा, ‘एक शाम लाहौर (Lahore) में पार्टी के वक्त फतेहसिंह राव गायकवाड़ (Fatehsingh Rao Gaekwad) अतिथियों (Guests) का स्वागत कर रहे थे। पास में सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) भी खड़े थे। तभी भीड़ के साथ एक अभिजात्य वर्ग की महिला ने प्रवेश किया। उनके हाव-भाव से ही लगता था कि वह एक प्रमुख हस्ती हैं। महाराज बड़ौदा (Baroda) ने गर्मजोशी से उनकी अगवानी की और सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) का परिचय कराते हुए कहा, ‘ये हैं भारत के लोकप्रिय कप्तान सुनील गावस्कर।’ इस पर उस महिला ने कहा, ‘हम इन्हें नहीं जानते। हम तो इमरान खान (Imran Khan) व जहीर अब्बास (Zaheer Abbas) को जानते हैं।’
सुशील दोशी ने आगे लिखा, ‘सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने उनकी बात में छिपे उपेक्षा के भाव को पढ़ लिया। वैसे भी आत्मसम्मान ‘सनी भाई’ की हमेशा विशेषता रही है। जब महाराज बड़ौदा ने आकर्षक महिला का परिचय सनी (सुनील गावस्कर) से कराया और कहा- …और यह हैं मल्लिका-ए-तरन्नुम (Mallika-e-Tarannum) नूरजहां (Noor Jehan)। आप तो इन्हें जानते ही होंगे। इस पर स्वाभिमानी ‘सनी’ ने तुरंत पलट कर जवाब देते हुए कहा, जी नहीं। हम इन्हें नहीं जानते। हम तो सिर्फ लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को जानते हैं।’
