अपने 17 साल के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में कई सफल कप्तानों के साथ खेलने के बाद, युवराज सिंह ने आखिरकार अब खुलासा किया है कि उनके लिए कौन सबसे अच्छा कैप्टन साबित हुआ। 38 साल के इस पूर्व क्रिकेटर ने मंगलवार को मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की कप्तानी के दिनों को याद किया। बाएं हाथ के बल्लेबाज युवराज सिंह ने बताया कि वे सौरव गांगुली की कप्तानी को ज्यादा याद करते हैं। हालांकि, यह भी एक सच है कि महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2011 वर्ल्ड कप के दौरन युवराज सिंह ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ चुने गए थे।
स्पोर्टस्टार को दिए साक्षात्कार में टीम इंडिया के इस पूर्व आलराउंडर ने ने कहा, ‘मैंने सौरव (गांगुली) की कप्तानी में खेला है। उन्होंने मेरा बहुत सपोर्ट किया। मेरे पास सौरव की कप्तानी की ज्यादा यादें हैं, क्योंकि उन्होंने मेरा समर्थन किया। मुझे माही (एमएस धोनी) और विराट (कोहली) से इस तरह का सपोर्ट नहीं मिला।’
इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह भी रहस्योद्घाटन किया कि किस गेंदबाज के खिलाफ रन बनाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। युवराज ने बताया, ‘मुझे मुथैया मुरलीधरन के खिलाफ काफी जूझना पड़ता था। शुरू में मैं उनकी गेंदबाजी को ज्यादा समझ नहीं पाता था। तब सचिन (तेंदुलकर) ने मुझे उनके खिलाफ स्वीप शॉट खेलने की सलाह दी थी। इसके बाद मेरे लिए मुरली के खिलाफ खेलना आसान हो गया था।’
As @YUVSTRONG12 calls it quits on his glorious career, we rewind the clock and look at his most iconic cricket moments. Thank you for the memories Yuvi #TeamIndia #YuvrajSingh
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— BCCI (@BCCI) June 10, 2019
उन्होंने यह भी माना, ‘मुझे ग्लेन मैक्ग्रा की गेंदें ज्यादा परेशान करतीं… लेकिन सौभाग्य से मैं उनके खिलाफ ज्यादा नहीं खेल पाया। मैं टेस्ट मैचों में बाहर बैठकर सीनियर्स के लिए चीयर करता था।’ बता दें कि युवराज की पहचान मुश्किल परिस्थितियों में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी के रूप में थी। इंटरव्यू के दौरान इस चैंपियन आलराउंडर ने अपनी यादगार पारियों पर भी चर्चा की।
युवराज ने बताया, ‘बेंगलुरु में 169 रनों की पारी (2007 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच, जिसमें भारत ने 61 रनों पर 4 विकेट गंवा दिए थे)। आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2011 के क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 57 रन। मैंने ये पारियां दबाव में खेली थीं। इसके अलावा 6 छक्के (स्टुअर्ट ब्रॉड के खिलाफ) बहुत यादगार रहे।’
युवराज ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने का ऐलान किया था। युवराज भारत की दो वर्ल्ड चैंपियन (2007 में वर्ल्ड टी20 और 2011 में वर्ल्ड कप) टीमों का हिस्सा रहे। उन्होंने दोनों ही टूर्नामेंट्स में अपने प्रदर्शन से खास छाप छोड़ी थी।