भारत के पूर्व बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रुद्र प्रताप सिंह (आरपी सिंह) ने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को सबसे खतरनाक बताया है। आरपी के मुताबिक, धोनी की तरह फिनिशिंग क्षमता आगे किसी में नहीं होगी। फिनिशिंग के मामले में धोनी के बाद जिस दूसरे खिलाड़ी का नाम दिमाग में आता है वो ऑस्ट्रेलिया के माइकल बेवन थे। आरपी ने कहा कि धोनी इस क्षेत्र में बेवन से भी एक कदम आगे थे। माही ने 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया था।

धोनी ने अपने करियर के सबसे ज्यादा मौकों पर नीचले क्रम में बल्लेबाजी की। वे या तो 5वें नंबर पर उतरते थे या छठे। भले ही एक बल्लेबाज के तौर पर उन्हें सबसे ज्यादा सफलता ऊपरी क्रम में मिली हो, लेकिन उन्हें टीम ने निचले क्रम पर बल्लेबाजी के लिए कहा। इससे टीम पर पड़ने वाले दबाव को कम किया जा सकता था। आरपी ने क्रिकेट.कॉम से बातचीत में कहा, ‘‘अगर मैं गलत नहीं हूं तो धोनी ने खुद ही चौथे नंबर पर बल्लेबाजी की इच्छा जताई थी, लेकिन टीम ने सोचा कि निचले क्रम पर दबाव को झेलने के लिए उनसे बेहतर कोई नहीं है। अगर आप इस खेल के इतिहास के बारे में बात करेंगे तो धोनी के जैसा खिलाड़ी अब तक नहीं आया। उसने अपने बल्लेबाजी से कई मैच जिताए। हम बेवन के बारे में बात करते हैं, लेकिन धोनी सबसे खतरनाक थे।’’

सिंह ने धोनी के ऑफ-फील्ड व्यक्तित्व के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि कैसे भारत के सीमित ओवरों में सबसे सफल कप्तान एक बेहद ज़मीनी व्यक्ति थे। जो ज्यादातर खुद को सबसे अलग रखना पसंद करते हैं। आरपी ने कहा, ‘‘वह हमेशा से ही जमीन से जुड़े रहे हैं और बहुत ही योग्य व्यक्ति हैं। हम शिकायत करते थे कि वह कभी हमारी कॉल नहीं लेता है। एक बार जब उन्होंने मुनाफ पटेल और मुझसे कहा था कि जब वे रिटायर होंगे तो आधी रिंग में ही सबके फोन उठा लेंगे। अब वो रिटायर हो चुके हैं और हम इस बात की जांच करेंगे कि क्या वे सच में रिटायर हुए हैं या नहीं।’’

हाल ही में टीम इंडिया के एक अन्य पूर्व तेज गेंदबाज अजीत अगरकर ने धोनी और विराट कोहली की कप्तानी के अंतर के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था, ‘‘धोनी और कोहली की कप्तानी में जो बुनियादी अंतर मैं देखता हूं वह गेंदबाजों को लेकर है। धोनी अपनी रणनीति के लिए स्पिनर्स पर काफी निर्भर करते थे, वहीं कोहली थोड़ा सा अलग होते हुए तेज गेंदबाजों पर ज्यादा भरोसा जताते हैं। ऐसे में जब भारतीय टीम विदेशी धरती पर टेस्ट मैच खेलती है तो नतीजों पर इसका अंतर नजर आता है। इससे हमारे नतीजों में सुधार आया है और हम अधिक प्रतिस्पर्धी होकर खेल रहे हैं। शायद यही दोनों की कप्तानी में एक बड़ा अंतर है लेकिन दोनों को कामयाबी मिली।’’