सौरव गांगुली को यह बेहद चौंकाने वाला लगता है कि लगभग 18 महीने टीम से बाहर रहने वाले अजिंक्य रहाणे को टेस्ट की उप कप्तानी सौंपी गई है। उनकी मानें तो रविंद्र जडेजा को यह जिम्मेदारी मिलनी चाहिए थी। पूर्व भारतीय कप्तान ने चयन प्रक्रिया में स्थिरता और निरंतरता की आवश्यकता जताई। 35 साल के अजिंक्य रहाणे करीब डेढ़ साल से टीम से बाहर थे। इस महीने की शुरुआत में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मैच के लिए उनकी टीम में वापसी हुई।
रहाणे ने ओवल में खेले गए डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहली पारी में 89 और दूसरी में 46 रन का स्कोर किया। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैच में भारत के हाइएस्ट स्कोरर रहे। अंतरिम प्रमुख शिव सुंदर दास की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय चयन समिति ने टेस्ट टीम में वापसी के सिर्फ एक टेस्ट बाद अजिंक्य रहाणे को वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला के लिए रोहित शर्मा के डिप्टी के रूप में फिर से नियुक्त किया।
तो क्या इस भूमिका के लिए शुभमन गिल जैसे किसी व्यक्ति को तैयार करना आदर्श नहीं था? इस सवाल का जवाब देते हुए सौरव गांगुली ने लंदन से पीटीआई को बताया, ‘हां, मुझे ऐसा लगता है।’ गांगुली ने हालांकि रहाणे को आगे बढ़ने के कदम को पीछे जाना नहीं करार दिया, लेकिन इसे व्यावहारिक फैसला भी नहीं बताया।
उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि यह पीछे की ओर उठाया गया कदम है। आप 18 महीने से बाहर हो, फिर आप एक टेस्ट खेलते हो और आपको उप कप्तान बना दिया जाता है। मुझे इसके पीछे की सोच प्रक्रिया समझ नहीं आई। रविंद्र जडेजा भी काफी लंबे समय टीम में है और टेस्ट मैचों में निश्चित ही खेलता है, वह एक उम्मीदवार है।’
भारत के बेहतरीन टेस्ट कप्तानों में शुमार सौरव गांगुली ने कहा, ‘…लेकिन 18 महीने बाद अचानक वापसी के बाद तुरंत ही उप कप्तान बना दिया जाना, मेरी समझ से बाहर है। मेरा यही कहना है कि चयन में निरंतरता और स्थिरता होनी चाहिए।’ भारतीय चयनकर्ताओं ने चेतेश्वर पुजारा जैसे कद के बल्लेबाज को बाहर करके बदलाव की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। हालांकि, गांगुली चाहते हैं कि एक खिलाड़ी के साथ के साथ संवाद स्पष्ट होना चाहिए जो भारत के लिए 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेल चुका हो।
उन्होंने कहा, ‘चयनकर्ताओं को उसके (पुजारा) बारे में स्पष्ट होना चाहिए था। क्या वे उसे टेस्ट क्रिकेट में और खिलाना चाहते हैं या फिर वे युवाओं के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। उसे इस बारे में बताया जाना चाहिए था। पुजारा जैसे कद के खिलाड़ी को आप टीम से बाहर, फिर अंदर और फिर बाहर, फिर अंदर नहीं कर सकते। ऐसा ही अजिंक्य रहाणे के साथ भी है।’