India vs Pakistan Cricket Relationship: पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने कहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को ‘अधिक जिम्मेदारी’ दिखानी चाहिए, क्योंकि वह ‘बहुत मजबूत बोर्ड’ है और क्रिकेट खेलने वाले दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्रिकेट होने देने का अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं मोदी साहब से विनती करूंगा कि दोनों देशों के बीच क्रिकेट होने दें।’

जब आपके ज्यादा दोस्त होते हैं तो आप अधिक मजबूत होते हैं: शाहिद अफरीदी

शाहिद अफरीदी ने दोहा में लीजेंड्स लीग क्रिकेट (एलएलसी) के इतर यह बात कही। शाहिद अफरीदी ने कहा, ‘अगर हम किसी से दोस्ती करना चाहते हैं और वह हमसे बात नहीं करता है तो हम क्या कर सकते हैं? इसमें कोई शक नहीं कि बीसीसीआई काफी मजबूत बोर्ड है, लेकिन जब आप मजबूत होते हैं तो आप पर ज्यादा जिम्मेदारी होती है। आप अधिक दुश्मन बनाने की कोशिश न करें, आपको दोस्त बनाने की जरूरत है। जब आप ज्यादा दोस्त बनाते हैं तो आप मजबूत बनते हैं।’

क्रिकेट सबसे अच्छी कूटनीति है: शाहिद अफरीदी

यह पूछे जाने पर कि क्या वह पीसीबी (पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड) को कमजोर मानते हैं, अफरीदी ने कहा, ‘मैं कमजोर नहीं कहूंगा, लेकिन कुछ जवाब सामने (बीसीसीआई) से भी आए।’ शाहिद अफरीदी का मानना है कि क्रिकेट सबसे अच्छी कूटनीति है और दोनों टीमों को एक दूसरे को मजबूत करना चाहिए। भारतीय खिलाड़ियों के साथ उनके अभी भी मधुर संबंध हैं। एक अन्य दिन भारत के पूर्व खिलाड़ी सुरेश रैना ने मुझे एक बल्ला दिया।

भारतीय टीम में अब भी मेरे दोस्त हैं: शाहिद अफरीदी

वह कहते हैं, ‘भारतीय टीम में अब भी मेरे दोस्त हैं। जब हम मिलते हैं, हम चर्चा करते हैं। एक दिन मैं रैना से मिला और मैंने बल्ला मांगा, उसने मुझे बल्ला दिया।’ लंबी बातचीत में अफरीदी ‘प्यार बांटने’ का दबाव बनाते रहे। उन्होंने 2005 की श्रृंखला को याद किया, जब भारतीय क्रिकेटर पाकिस्तान में बाहर निकलते थे और कुछ खरीदते थे तो कोई भी पाकिस्तानी दुकानदार उनसे पैसे नहीं लेता था।’

आतंकी तो चाहते ही हैं कि हमारे बीच क्रिकेट नहीं हो: शाहिद अफरीदी

महान हिटिंग ऑलराउंडर शाहिद अफरीदी ने कहा कि पाकिस्तान में सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है क्योंकि हाल के दिनों में कई अंतरराष्ट्रीय टीमों ने उनके देश का दौरा किया है। शाहिद अफरीदी ने कहा, ‘जहां तक पाकिस्तान में सुरक्षा चिंता का सवाल है, तो हमारे यहां हाल ही में कई अंतरराष्ट्रीय टीमों ने दौरा किया।

शाहिद अफरीदी ने कहा, ‘हमें भी भारत में सुरक्षा का खतरा रहता था, लेकिन अगर दोनों देशों की सरकार से अनुमति मिलती है तो दौरा होगा। अगर दौरा नहीं होता है तो हम उन लोगों को मौका देंगे। वे लोग तो बस यही चाहते ही हैं कि हमारे बीच कोई क्रिकेट न हो।’

2008 आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच नहीं हुई द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज

मुंबई 2008 के आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट संबंध फिर से शुरू नहीं हुए हैं। टीमें तब से केवल एक बहु-राष्ट्रीय टूर्नामेंट में ही एक दूसरे के खिलाफ खेली हैं। अफरीदी ने कहा कि दोनों बोर्डों को नियमित रूप से चर्चा करनी चाहिए। पिछले साल, बीसीसीआई सचिव जय शाह, जो एशियाई क्रिकेट परिषद के प्रमुख भी हैं, ने सार्वजनिक किया था कि भारतीय टीम एशिया कप में खेलने के लिए पाकिस्तान नहीं जाएगी और टूर्नामेंट तटस्थ स्थान पर आयोजित किया जाएगा।

पाकिस्तान ने दी है वनडे विश्व कप से हटने की धमकी

पीसीबी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि एसीसी ने उन्हें टूर्नामेंट के अपने घर से दूर ले जाने के बारे में कोई सूचना नहीं दी है और उनसे सलाह किए बिना निर्णय लिया गया। तब से, पीसीबी 50 ओवरों के विश्व कप से हटने की धमकी दे रहा है। उसका कहना है कि अगर एशिया कप क्रिकेट की दुनिया के किसी अन्य हिस्से में खेला जाता है तो वह भारत में होने वाले वनडे विश्व कप में नहीं हिस्सा लेगा।

आपस में चर्चा बहुत जरूरी: शाहिद अफरीदी

शाहिद अफरीदी ने कहा, ‘असली बात यह है कि हम कभी भी एक-दूसरे से चर्चा ही नहीं करते हैं। बातचीत सबसे महत्वपूर्ण है। राजनेता वही करते हैं, वे चर्चा करते हैं। जब तक आप आपस में नहीं बैठेंगे, तब तक कुछ हल नहीं होगा। भारत पाकिस्तान आ जाता तो अच्छा होता। हम और हमारी सरकारें एक दूसरे से बेहतर संबंध चाहती हैं।’

पीसीबी अध्यक्ष नजम सेठी ने शनिवार को कहा था कि एशियाई कप की मेजबानी के मुद्दे पर एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के अन्य सदस्यों का समर्थन महत्वपूर्ण होगा। लेकिन स्वीकार किया कि भारत, जो टूर्नामेंट को कहीं और आयोजित करना चाहता है, महाद्वीपीय निकाय में बड़ा दबदबा रखता है।

नजम सेठी ने एसीसी और आईसीसी की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए दुबई रवाना होने से पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘यह देखना महत्वपूर्ण है कि अन्य सदस्य (एसीसी के) एशिया कप पर हमारे रुख को कैसे देखते हैं। वे क्या सोचते हैं यह महत्वपूर्ण है, लेकिन अंत में हमें यह समझना चाहिए बीसीसीआई अपनी वित्तीय शक्ति के साथ विश्व क्रिकेट में कितना दबदबा रखता है।’