भारतीय क्रिकेट में पिछले कुछ दिनों में युवराज सिंह, इरफान पठान और सुरेश रैना जैसे अनुभवी और दिग्गज खिलाड़ियों ने चयन प्रक्रिया पर आवाज पर उठाई। तीनों ने चयनकर्ताओं को खिलाड़ियों के साथ तालमेल बेहतर करने की बात कही। इस लिस्ट में अब बेहतरीन ओपनर रहे गौतम गंभीर का नाम भी शामिल हो गया है। गंभीर ने एक लाइव शो में पूर्व चयनकर्ता एमएसके प्रसाद पर सवाल उठाए। इस दौरान दोनों में नोंकझोक भी हुई। गंभीर ने कहा कि मुख्य चयनकर्ता को अनुभवी होना चाहिए। एमएसके ने 17 वनडे और 6 टेस्ट ही खेले थे।

गंभीर ने स्टार स्पोर्ट्स के कार्यक्रम क्रिकेट कनेक्टेड में एमएसके प्रसाद और पूर्व चयनकर्ता कृष्णमाचारी श्रीकांत के सामने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उनका मानना है कि कप्तान और कोच को चयन प्रक्रिया में वोटिंग का अधिकार मिलना चाहिए। गंभीर ने कहा, ‘‘समय आ गया है कि अब कप्तान भी चयनकर्ता बने। कप्तान और कोच चयनकर्ता होने चाहिए। प्लेइंग इलेवन में चयनकर्ताओं का कोई दखल नहीं होना चाहिए। प्लेइंग इलेवन की जिम्मेदारी कप्तान की होगी।’’

इस पर एमएसके प्रसाद ने कहा, ‘‘भारतीय क्रिकेट के नियमों के अनुसार चयन प्रक्रिया में कप्तान से हमेशा सलाह ली गई है, उनके पास वोट का अधिकार नहीं है। कप्तान चयन प्रक्रिया में हमेशा कुछ न कुछ कहता है। इसे लेकर दो राय नहीं है। नियमों के अनुसार उनके पास वोट का अधिकार नहीं है। गंभीर ने वर्ल्ड कप में अंबाती रायुडू को नहीं चुनने पर भी बात की। उन्होंने कहा कि चयनकर्ता वर्ल्ड कप तक नंबर-4 का बल्लेबाज नहीं ढूंढ पाए। इससे टीम इंडिया को नुकसान हुआ। एमसके प्रसाद ने जवाब में कहा कि गेंदबाजी को देखते हुए विजय शंकर को चुना गया था।

गंभीर ने श्रीकांत और एमएसके से कहा, ‘‘आपके चयनकर्ताओं के अध्यक्ष को एक अनुभवी क्रिकेटर होना चाहिए, जिसने पर्याप्त अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला हो। साथ ही जिसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के उतार-चढ़ाव को देखा हो। जितना अधिक आप खेलते हैं, आप खिलाड़ियों को बेहतर समझते हैं। श्रीकांत ने बहुत सारे मैच खेले हैं, उन्होंने भारत की कप्तानी की है, उन्हें पता है कि एक खिलाड़ी किस चीज से गुजरता है। जब मैं चयनित हुआ तो अध्यक्ष के रूप में कोई और था, जब मैं बाहर कर दिया गया तो अध्यक्ष के रूप में कोई और था। खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं के बीच रिश्ता होना चाहिए।’’