अंतरराष्ट्रीय हाकी संघ के अध्यक्ष लियांद्रो नेग्रे ने कहा है कि वो चाहते हैं कि भारतीय हाकी टीम रियो दे जेनेरो में होने वाले ओलंपिक खेलों में कम से कम सेमीफाइनल तक पहुंचे। नेग्रे यहां हॉकी इंडिया लीग का सेमीफाइनल और फाइनल देखने आए थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह पिछले कुछ समय में भारतीय हाकी ने दमखम दिखाया है, उससे लगता है कि भारत जल्दी ही विश्व हाकी की शीर्ष टीमों में शामिल होगा।
एचआइएल के सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले देखने यहां आए अंतरराष्ट्रीय हाकी संघ (एफआइएच) के अध्यक्ष लियांद्रो नेग्रे ने रविवार को यहां कहा कि हाकी इंडिया के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा अच्छे खेल प्रशासक हैं। उन्हें विश्वास है कि एचआइएल जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबलों से वह भारतीय हाकी को नई बुलंदियों पर ले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जिस तरह पिछले कुछ सालों में भारतीय हाकी ने अपना दमखम दिखाया है और यहां हाकी को फिर से जिंदा करने की कोशिशें चल रही हैं, उससे उन्हें लगता है कि जल्दी ही भारत फिर से विश्व हाकी की शीर्ष टीमों में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि भारत में व्यावसायिक कारणों से क्रिकेट के खेल को अधिक लोकप्रियता प्राप्त है। लेकिन हाकी को भी यदि कुछ व्यावसायिक घराने आगे आकर अपनाएं और उसके लिए आवश्यक आधारभूत संरचनाएं खड़ी की जाएं तो भारत में हाकी के खेल में फिर से दुनिया में शीर्ष स्थान प्राप्त करने की पूरी क्षमता है। एक सवाल के जवाब में नेग्रे ने कहा कि भारत में हाकी इंडिया द्वारा ‘हाकी इंडिया लीग’ प्रतियोगिता प्रारंभ करने से खिलाड़ियों में दोबारा जोश जागा है। युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने और उसे सुधारने का बड़ा अवसर मिला है।
रविवार को एचआइएल के फाइनल में पायजामा, कुर्ता और नेहरू जैकेट पहन कर बिलकुल भारतीय लग रहे नेग्रे ने वेशभूषा के बारे में पूछे जाने पर भावुक होकर कहा, ‘बत्रा ने तो मुझे भारतीय बना दिया। उन्होंने अचानक टेलर से मेरे नाप का यह पायजामा, कुर्ता और जैकेट बनवा दिया। मैंने इसे रविवार को पहना था और मुझे भारतीय वेश पहन कर बहुत अच्छा लगा।’ उन्होंने कहा कि यह वेशभूषा उनकी पाश्चात्य वेशभूषा से कहीं अधिक आरामदेह और सुविधाजनक है। 1968 के ओलंपिक में स्पेन टीम के गोली रहे नेग्रे पिछले आठ सालों से अंतरराष्ट्रीय हाकी संघ का अध्यक्ष पद सुशोभित कर रहे हैं। वो दुनिया में हाकी के प्रसार के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
दुनिया में हाकी के प्रचार प्रसार के लिए अंतरराष्ट्रीय हाकी फेडरेशन के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर नेग्रे ने कहा कि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय हाकी फेडरेशन में दुनिया के 132 देश सदस्य हैं। एक साल के भीतर यह संख्या 140 तक पहुंच जाने की संभावना है क्योंकि इसमें अमेरिका, सेंट्रल अमेरिका और अफ्रीका के अनेक अन्य देशों के हाकी फेडरेशनों के भी जुड़ने की बात चल रही है। पूरी दुनिया में हाकी की लोकप्रियता बढ़ रही है। लेकिन भारत में इसकी दशकों पुरानी लोकप्रियता को देखते हुए यहां इस खेल को फिर से शीर्ष पर लाना एचआइएफ की शीर्ष प्राथमिकता है।
हाकी की विश्व प्रतियोगिताओं के सवाल पर नेग्रे ने कहा कि शीर्ष प्रतियोगिताओं में अधिक से अधिक देशों की टीमों को अवसर देने का प्रयास किया जा रहा है। इसी उद्देश्य से 2018 के हाकी विश्वकप में कुल 16 देशों की टीमों को चार पूलों में वर्गीकृत कर खिलाने का निर्णय लिया गया है। जबकि अब तक विश्व कप में 12 टीमें खेलती थीं और नीदरलैंड के हेग में 2014 में हुई पुरुषों की विश्व कप हाकी प्रतियोगिता में भी 12 टीमें ही मैदान में उतरी थीं। उन्होंने कहा कि यदि 2018 के पुरुष हाकी विश्वकप में 16 टीमों के साथ खेलने में कोई कठिनाई नहीं हुई तो 2022 के विश्वकप हाकी में अंतरराष्ट्रीय हाकी फेडरेशन 24 देशों की टीमें भी मैदान में उतार सकता है।
भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर के हाकी के मैदानों की कमी के बारे में एक सवाल के जवाब में नेग्रे ने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनेक और हाकी स्टेडियम बनाए जाएंगे। इससे यहां अधिक संख्या में हाकी की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकेंगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत में लगभग बीस अंतरराष्ट्रीय स्तर के हाकी स्टेडियम हैं। लेकिन एचआइएल जैसी प्रतियोगिताओ के खेले जाने से जल्दी ही ऐसे स्टेडियमों की संख्या बढ़कर पचास तक हो जाने की संभावना है।