इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर मोंटी पनेसर ने किसान आंदोलन का समर्थन दिया है। बाएं हाथ के इस पूर्व स्पिनर ने सोशल मीडिया के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध किया है। पनेसर ने ट्विटर पर आंदोलन कर रहे किसानों की एक तस्वीर साझा की। एक वीडियो भी शेयर किया है। पनेसर ने ट्वीट में लिखा, ‘क्या होगा अगर खरीदार यह कह दें कि अनुबंध पूरा नहीं हो सकता, क्योंकि फसल की क्वॉलिटी (गुणवत्ता) वैसी नहीं है, जैसी कही गई थी। ऐसे में किसान के पास क्या सुरक्षा है? कीमत तय करने का कोई विकल्प इसमें (नए कृषि कानून में) नहीं है??’

एक अन्य ट्वीट में पनेसर ने लिखा, ‘किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करता है और उन्हें बड़े कॉरपोरेट के ‘रहमो-करम’ पर छोड़ देता है।’ उन्होंने अपने ट्वीट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टैग किया है। पनेसर ने लिखा, ‘कृषि से जुड़े ये तीन विधेयक, जिनका संसद में पास होने के बाद कानून बनना तय है। ये कानून सभी अनाजों, दालों, ऑयल सीड और प्याज पर लगे ट्रेड प्रतिबंध और कीमत नियंत्रण हटाता है, इसका फायदा सिर्फ बिचौलियों और व्यापारियों को होगा। किसान चाहते हैं कि सरकार या तो इन तीनों कानूनों को हटाए या फिर उन्हें नए कानून के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी दे। इसी वजह से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं।’

पनेसर ने ट्विटर पर जो वीडियो शेयर किया है, उसके कैप्शन में उन्होंने लिखा, ‘भारत के किसान अपनी सरकार से अपने सवालों के जवाब मांग रहे हैं।’ इस वीडियो को उन्होंने @BJP @narendramodi #famers #IndianFarmers @BorisJohnson @DominicRaab को टैग किया है। वीडियो में भी कृषि कानून को लेकर किसानों के विरोध की बात कही गई है।

बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार इस साल सितंबर में तीन 3 नए कृषि विधेयक लाई थी। जिन पर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा दी थी। अब वे विधेयक कानून बन चुके हैं। हालांकि, किसानों को ये कानून रास नहीं आ रहे हैं। उनका कहना है कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों और बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा। किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का भी डर है।

भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह ने भी आंदोलनकारी किसानों का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘किसान हमारा अन्नदाता है। हम को अन्नदाता को थोड़ा समय देना चाहिए। क्या यह वाजिब नहीं होगा। बिना पुलिस भिड़ंत के क्या हम उनकी बात नहीं सुन सकते। कृपया किसान की भी सुनिए। जय हिंद।’