इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) सुंदर रमन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है जिससे बीसीसीआइ में सत्ता परिवर्तन के बाद उनके भविष्य को लेकर लगाई जा रही अटकलें भी खत्म हो गर्इं। ढांचे को पाक-साफ करने की कवायद के तहत बीसीसीआइ ने रमन का इस्तीफा मंजूर कर लिया। इससे पहले बीसीसीआइ अध्यक्ष शशांक मनोहर ने 31 अक्तूबर तक उन्हें पद छोड़ने को कहा था।

आइपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा, हां, उन्होंने (रमन) बीसीसीआइ अध्यक्ष को इस्तीफा सौंप दिया है और बीसीसीआइ अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं कि वे सक्षम व्यक्ति है और इतने वर्षों तक उन्होंने पूरी क्षमता के साथ आइपीएल को देखा। मैं आइपीएल में उनके योगदान की सराहना करता हूं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

एक शीर्ष सूत्र के अनुसार, रमन सोमवार को नागपुर में बीसीसीआइ अध्यक्ष से मिले और अपना इस्तीफा सौंपा। दूसरे कार्यकाल के लिए बीसीसीआइ की बागडोर संभालने के बाद मनोहर ने आइपीएल 2013 स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण में नाम आने के बावजूद रमन को बरकरार रखने के बीसीसीआइ के फैसले पर नाखुशी जताई थी।

आइपीएल की शुरुआत से ही इसके साथ जुड़े रहे रमन को 2013 आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के लिए काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। इस प्रकरण में पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन का दामाद गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रायल्स के तत्कालीन सह मालिक राज कुंद्रा भी शामिल थे। इतने सब विवादों के बावजूद रमन दो साल तक अपने पद पर बने रहे।

पिछले साल दिसंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने जब मुद्गल समिति की रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को सार्वजनिक किया था तो पता चला था कि रमन कथित तौर पर आइपीएल के पिछले सत्र के दौरान एक सट्टेबाज के करीबी से आठ बार संपर्क में रहे। रिपोर्ट में रमन का जिक्र 12वें व्यक्ति के रूप में किया गया था। मुद्गल पैनल के सवाल पूछने पर रमन ने ‘स्वीकार’ किया था कि वे सट्टेबाज के एक साथी को ‘जानते’ हैं। लेकिन दावा किया कि उन्हें उसके सट्टेबाजी की गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी नहीं थी।

मुद्गल समिति ने अपनी रिपोर्ट में रमन की भूमिका की आगे जांच करने की बात कही थी। लेकिन शुक्ला ने कहा कि रमन पर पद छोड़ने का दबाव नहीं था। उन्होंने कहा, मुझे कोई दबाव नजर नहीं आता। अब तक उसके खिलाफ कुछ नहीं आया है। यह फैसला करने से पूर्व निश्चित तौर पर उसने सोच विचार किया होगा। मुद्गल ने रमन के इस्तीफे का स्वागत किया।

न्यायमूर्ति मुद्गल ने कहा, ‘इस तरह के आरोप थे कि उन्हें सट्टेबाजी की घटना की जानकारी दी गई। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। हमने अदालत में जो रिपोर्ट सौंपी उसमें यह जानकारी दी गई थी।’ उन्होंने कहा, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा था कि उनकी भूमिका की आगे जांच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, जब सर्वोच्च न्यायालय ने जांच का आदेश दिया था उन्हें तभी इस्तीफा दे देना चाहिए था। यह निजी फैसले हैं और कोई किसी का नैतिक स्तर किसी और पर नहीं थोप सकता। लेकिन ना से देर भली होती है। रमन को लोढ़ा समिति के समक्ष 15 नवंबर को पेश होना है। इस मामले में याचिकाकर्ता रहे आदित्य वर्मा ने भी रमन के इस्तीफे का स्वागत किया है और कहा कि इससे खेल की छवि बहाल करने में मदद मिलेगी।

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