कोई भी दो चुनाव एक जैसे नहीं होते। उसकी प्रकृति, जमीनी स्थिति और नेता अलग-अलग होते हैं। इस वैधानिक चेतावनी के बावजूद, यह कहना गलत नहीं होगा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को लेकर अधिक आशान्वित है।
कांग्रेस के उत्साह को देखते हुए भाजपा भी जल्द चुनावी अभियान शुरू कर सकती है। इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनावों में दिलचस्प राजनीतिक मुकाबला होना तय है।
बेशक, विधानसभा चुनाव संसदीय चुनावों से अलग होते हैं। लेकिन भाजपा को रोकने के लिए विपक्ष का अधिक से अधिक राज्यों को जीतना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, राज्यों में मिली जीत से राज्यसभा में भी विपक्ष का पक्ष मजबूत होगा।
आने वाले तीन चुनावों में से, कांग्रेस का मानना है कि वह कम से कम दो- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बेहतर स्थिति में है। कर्नाटक के बाद कांग्रेस का मानना है कि उसके पास एक रोडमैप है जिसे वह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दोहरा सकती है। कर्नाटक में अपनाई गई रणनीति को कांग्रेस इन दो राज्यों में भी आजमा सकती है, जिसके तहत चुनाव से कुछ माह पहले कल्याणकारी/लोकलुभावन रियायतों की घोषणा की जा सकती है। कर्नाटक की तरह की कांग्रेस इन राज्यों में भी अपने चुनावी अभियान को हाइपर लोकल रखना चाहेगी, जिससे ‘नरेंद्र मोदी फैक्टर’ राज्य में सफल न हो पाए।
हाल में जिन दोनों राज्यों, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस जीती वहां पार्टी जीत के प्रति आश्वस्त थी। उसने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए वह सब कुछ किया जो वह कर सकती थी। इसकी तुलना में, गुजरात, त्रिपुरा और मेघालय में कांग्रेस का अभियान नीरस था। राजस्थान में पर्याप्त दबाव होने के बावजूद पार्टी को भरोसा है कि वह वहां भी अच्छा कर सकती है।
अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस सभी महत्वपूर्ण हिंदी हार्टलैंड में नजर आने लगेगी। उत्तर प्रदेश को छोड़ दें तो पार्टी बिहार में पहले से सत्ताधारी गठबंधन में है।
मध्य प्रदेश का क्या है प्लान?
मध्य प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कोई असमंजस नहीं है। कमलनाथ का न तो शीर्ष पर कोई प्रतिद्वंदी है, न रैंक में कई आगे है। कमलनाथ की राह के एकमात्र बाधा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अब पार्टी में नहीं हैं। साल 2021 में सत्ता से बाहर होने के बाद उन्होंने अपना समय समर्थन जुटाने में किया है।
वर्षों में पहली बार, राज्य में कांग्रेस में केवल एक स्पष्ट सीएम चेहरा है। यकीनन स्वयंभू, कमलनाथ का न तो शीर्ष पर और न ही रैंकों में कोई प्रतिद्वंद्वी है, और उन्होंने 2021 में सत्ता से अपने कठोर पतन के बाद से समय का उपयोग अपने समर्थन को मजबूत करने के लिए किया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ लगातार मध्य प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ एक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वह लंबे समय तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। कांग्रेस ने कर्नाटक में जिस तरह अभियान चलाया था, कुछ वैसा ही कैंपेन मध्य प्रदेश में भी चलाया जा रहा है।
हिमाचल और कर्नाटक की तरह कांग्रेस मध्य प्रदेश में भी चुनाव से पहले लोकलुभावन घोषणाएं शुरू कर चुकी है ताकि वोट देने का समय आने पर लोगों के बीच एक रिकॉल वैल्यू बनाई जा सके। कांग्रेस ने सत्ता में आने पर नारी सम्मान योजना के तहत लड़कियों को 1,500 रुपये देने और महिलाओं को 500 रुपये में घरेलू गैस सिलेंडर देने का वादा किया है।
मध्य प्रदेश में हिंदुत्व की गहरी जड़ों को देखते हुए, कमलनाथ अपनी आस्था प्रकट करने से परहेज नहीं कर रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीती थी, तब उसने अपने घोषणापत्र में ‘राम वन गमन पथ’ विकसित करने का वादा किया था। सत्ता में आने पर कांग्रेस ने हर पंचायत में गौशालाओं का निर्माण और “गोमूत्र” का व्यवसायिक उत्पादन शुरू किया था।
इस बार कमलनाथ ने कार्यकर्ताओं से रामनवमी और हनुमान जयंती मनाने, साथ ही सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करने को कहा है।
छत्तीसगढ़ का क्या है प्लान?
साल 2018 में मुख्यमंत्री पद के दो मजबूत दावेदार टी एस सिंह देव और ताम्रध्वज साहू को पीछे छोड़ भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने थे। अब वही छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं। टी एस सिंह देव बघेल के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को यह उम्मीद है कि पार्टी बघेल को हटाएगी, खासकर गांधी परिवार से बढ़ी उनकी नजदीकी के बाद।
बघेल के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के कुछ मामले पिछले दिनों सामने आए थे। ED (Enforcement Director) उनके दरवाजे भी पहुंची थी। भाजपा इसे मुद्दा बनाकर सरकार को निशाना बना सकती है। लेकिन देखना यह होगा कि राज्य में किसी लोकप्रिय चेहरे की अनुपस्थिति में भाजपा इसे सत्ता विरोधी लहर में बदल पाती है या नहीं।
दूसरी तरफ बघेल कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है। छत्तीसगढ़ी गौरव का आह्वान कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हिंदुत्व के मुद्दों को भी उठा रहे हैं। वह कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं, जिनका मानना है कि पार्टी को हिंदू त्योहारों को मनाने से शर्म नहीं करनी चाहिए। अक्टूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना की शुरुआत की थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य भर में राम की आठ प्रतिमाएं स्थापित करने का निर्णय लिया है। ये सब बघेल की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
राजस्थान का क्या है प्लान?
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विपरीत, राजस्थान कांग्रेस में विभाजन है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बार-बार होने वाला झगड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को पायलट के अल्टीमेटम के बाद यह और निचले स्तर पर पहुंच गया।
गहलोत ने अपने आखिरी बजट में कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की थी, जिसमें लगभग 76 लाख परिवारों को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देना, राज्य के 1.19 करोड़ उपभोक्ताओं में से 4 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को प्रति माह 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देना, लगभग 1 करोड़ परिवारों को मुफ्त भोजन के पैकेट, और चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के तहत बीमा कवर को 10 लाख रुपये प्रति परिवार से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना शामिल है।
उधर गहलोत सरकार के खिलाफ पायलट की ताजा धमकी से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अवगत है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व कर्नाटक में सरकार बनने के बाद राजस्थान की स्थिति को संभालेगी।